कहानी Salim Durani की, काबुल का पठान जो बना भारतीय क्रिकेट का शहजादा सलीम, दर्शकों की मांग पर लगाते थे छक्के
Salim Durani death: ईडन गार्डंस पर करीब 90,000 दर्शक जब पूरा गला फाड़कर एक साथ ‘सिक्सर सिक्सर’ चिल्लाते थे तो यह महान खिलाड़ी अगली गेंद को लांग आन या डीप मिडविकेट सीमारेखा के पार भेज देता था.
Salim Durani passed away: काबुल में जन्में लेकिन भारत के लिये क्रिकेट खेलने वाले सलीम दुर्रानी अपने अंदाज, शख्सियत और दर्शकों की मांग पर छक्के लगाने के हुनर के कारण भारतीय क्रिकेट के शहजादे सलीम के रूप में हमेशा याद किये जायेंगे.
1960-70 के दशक में भारतीय क्रिकेट की शैशवस्था के साक्षी रहे हर क्रिकेटप्रेमी को याद होगा कि कैसे मैदान में दर्शक दुर्रानी से छक्के की मांग करते थे और वह कभी उनका दिल नहीं तोड़ते थे. ईडन गार्डंस पर करीब 90,000 दर्शक पूरा गला फाड़कर एक साथ ‘सिक्सर सिक्सर’ चिल्लाते थे और यह महान खिलाड़ी अगली गेंद को लांग आन या डीप मिडविकेट सीमारेखा के पार भेज देता था.
Salim Durani hits Jack Birkenshaw for six in the 1972-73 Bombay Test. Video from @jaigalagali
— Rameses (@tintin1107) April 2, 2023
This hit took him from 49 to 55. pic.twitter.com/OetQ5JxvYw
सुनील गावस्कर ने एक बार लिखा था कि अगर सलीम दुर्रानी आत्मकथा लिखेंगे तो उसका शीर्षक होगा, ‘आस्क फोर अ सिक्स.’ हरदिलअजीज दुर्रानी के दबदबे का आकलन 1960 से 1973 के बीच खेले गए 29 टेस्ट से नहीं हो सकता और ना ही 1200 रन या 75 विकेट से जो उन्होंने लिये. कैरियर में एकमात्र शतक, तीन बार पारी के पांच विकेट और 25 का औसत पूरी दास्तान नहीं कहता.
.@SunRisers & @rajasthanroyals and the match officials observe silence to pay respects to the late Salim Durani. pic.twitter.com/alTAAhauoK
— IndianPremierLeague (@IPL) April 2, 2023
88 साल के दुर्रानी ने रविवार को आखिरी सांस ली और उनके साथ ही मानों एक युग का अंत हो गया. अपने अंदाज और दिल जीतने के फन के कारण वह वाकई शहजादे सलीम थे. उस समय टेस्ट मैच खेलने पर 300 रूपये मिलते थे, लेकिन दुर्रानी सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन और खेल से मोहब्बत के लिये खेलते थे.
वेस्टइंडीज के 1971 के दौरे पर अपनी पदार्पण श्रृंखला में 774 रन बनाकर गावस्कर ने भारतीय टीम को कैरेबियाई सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला में पहली जीत दिलाई. लेकिन पोर्ट आफ स्पेन टेस्ट में अगर दुर्रानी एक ही स्पैल में क्लाइव लॉयड और गैरी सोबर्स का विकेट नहीं लेते तो यह संभव नहीं होता.
उसके बाद इंग्लैंड दौरे पर उन्हें टीम में जगह नहीं मिली क्योंकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर हावी मुंबई गुट को लगा कि वह इंग्लैंड के हालात में खेल नहीं सकेंगे. उन्हें आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड दौरै के लिये नहीं चुना जाना समझ से परे है. इंग्लैंड के खिलाफ ईडन गार्डंस पर अर्धशतक जमाने के बाद कानपुर टेस्ट में उन्हें नहीं चुना गया.
इसका असर ऐसा था कि लोगों ने पोस्टर दिखा दिये, ‘नो सलीम, नो टेस्ट.’ अफगानिस्तान टीम ने 2018 में जब बेंगलुरू में पहला टेस्ट खेला तो अफगान मूल के पठान दुर्रानी को भारतीय बोर्ड ने सम्मानित किया. अपने बिंदासपन, बेतकल्लुफी और जिंदादिली के लिये लोकप्रिय रहे दुर्रानी को खुद इसका अहसास नहीं था कि वह कितने बड़े खिलाड़ी हैं और यही खासियत उन्हें महान बनाती है.
वही, सलीम दुर्रानी के निधन पर प्रधानमंत्री ने शोक जताया है. पीएम मोदी ने दुर्रानी से हुई मुलाकत की एक तस्वीर ट्विटर शेयर की है. जिसके साथ उन्होंने लिखा, “मुझे कई मौकों पर महान सलीम दुरानी जी से बातचीत करने का अवसर मिला. ऐसा ही एक अवसर था जनवरी 2004 में जामनगर के एक कार्यक्रम में, जिसमें महान क्रिकेटर वीनू मांकड़ जी की प्रतिमा का उद्घाटन किया गया था. पेश हैं कार्यक्रम की कुछ यादें.”