भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि शिक्षण एक पेशा ही नहीं बल्कि कला है जिसमें आप छात्रों को अनुशासित करके तराशते हैं. उन्होंने मशहूर तकनीक और शिक्षाविद प्रोफेसर के के अब्दुल गफ्फार की आत्मकथा के विमोचन के मौके पर यह बात कही. धोनी ने शनिवार को यहां एक कार्यक्रम में प्रोफेसर गफ्फार की आत्मकथा ‘अनजान साक्षी’ का विमोचन किया.
दुबई स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ मारवान अल मुल्ला को किताब की पहली प्रति एमएस धोनी ने भेंट की. इस मौके पर धोनी ने कहा कि एक शिक्षक को अपने छात्रों को समझाने के लिये हर चीज सरल करनी होती है. हर छात्र का आई क्यू स्तर अलग होता है और आपको सभी को समझाना होता है. मुझे लगता है कि यह एक पेशा ही नहीं बल्कि कला है. इसमें आप छात्रों को अनुशासित करके उनके मजबूत और कमजोर पक्ष बताते हैं. मैं हमेशा से अपने स्कूल के शिक्षकों का बड़ा प्रशंसक रहा हूं.
उन्होंने कहा कि मैं कभी कॉलेज नहीं गया लेकिन मुझे लगता है कि मैंने जीवन में अच्छा ही किया. धोनी अपने करीबी मित्र डॉक्टर शाजिर गफ्फार के पिता की आत्मकथा के विमोचन के लिये खास तौर पर रांची से कासरगोड आये थे. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद से एमएस धोनी मैदान पर केवल इंडियन प्रीमियर लीग में खेलते दिखते हैं. वह चेन्नई सुपर किंग्स का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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धोनी भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं. उन्होंने अपनी कप्तानी ने पहले आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के उद्घाटन संस्करण का खिताब 2007 में जीता था. उसके बाद उन्होंने 2011 में भारत को एक बार फिर वनडे वर्ल्ड कप का ट्रॉफी उठाने का सौभाग्य प्रदान किया. धोनी की कप्तानी में ही टीम इंडिया के आईसीसी का एक खिताब चैंपियंस ट्रॉफी जीती. धोनी की अगुवाई में चेन्नई सुपर किंग्स चार बार चैंपियन बन चुकी है.