Loading election data...

India vs New Zealand : खेलने के पहले ही मैच हार चुकी थी टीम इंडिया

जिस टीम में कोहली, रोहित जैसे बल्लेबाज हों, वह टीम 110 पर लुढ़क जाये, तो कैसे जीतेंगे? टीम इंडिया को पता था कि यह मैच हारे तो कहानी खत्म. इसके बावजूद लापरवाह बल्लेबाजी की.

By अनुज कुमार | November 1, 2021 6:44 AM

IND vs NZ T20 WC: भारतीय टीम की टी-20 वर्ल्ड कप में एक और शर्मनाक हार. न्यूजीलैंड से आठ विकेट से हारकर वर्ल्ड कप से लगभग बाहर. पहले पाकिस्तान से हारी, 10 विकेट से और अब न्यूजीलैंड से 8 विकेट से. गेंदबाजी की पोल खुल गयी.

दो मैच में विपक्षी टीम का सिर्फ दो विकेट ले सकी. यही हाल रहा बल्लेबाजी में. जिस टीम में कोहली, रोहित जैसे बल्लेबाज हों, वह टीम 110 पर लुढ़क जाये, तो कैसे जीतेंगे? टीम इंडिया को पता था कि यह मैच हारे तो कहानी खत्म. इसके बावजूद लापरवाह बल्लेबाजी की.

इस वर्ल्ड कप की अब तक की खासियत यह रही है कि टॉस जीतो, पहले क्षेत्ररक्षण करो और मैच जीतो. इसलिए टीम इंडिया के खिलाड़ियों के दिमाग में भी यही बात चल रही थी. कोहली टॉस हारे और टीम इंडिया ने सोच लिया कि मैच भी हार गये. पहली गेंद से ही टीम इंडिया के खिलाड़ी भयभीत होकर खेले. हाल के वर्षों में न्यूजीलैंड से भारत लगातार हारता रहा है. यह बात भी खिलाड़ियों के दिमाग में थी. यानी दोहरा भय औरर यही पूरे मैच में दिखा.

दरअसल आज भारत ने जितना भी प्रयोग किया, सभी असफल रहा. भारतीय टीम की ताकत बल्लेबाजी रही है और उसमें भी ओपनिंग जोड़ी. लेकिन यह जोड़ी न तो पाकिस्तान के खिलाफ चली और न ही न्यूजीलैंड के खिलाफ.

रोहित को नीचे कर राहुल के साथ इशान किशन को लाया गया लेकिन वह भी फ्लॉप. आइपीएल और प्रैक्टिस मैच में ये सभी खिलाड़ियों ने अपना जलवा दिखाया था, लेकिन जब वर्ल्ड कप में इनकी जरूरत थी, इन्होंने घटिया प्रदर्शन किया. इसमें इशान किशन भी शामिल हैं. आज ओपनिंग जोड़ी के नहीं चलने से जो दबाव टीम इंडिया पर आया, उससे वह उबर नहीं सकी और शर्मनाक हार हारी.

अब आगे के मैच में अफगानिस्तान, नामीबिया और स्कॉटलैंड के खिलाफ भारतीय खिलाड़ी जितनी भी बहादुरी दिखा लें, सौ-सौ रन से जीतें, वापसी बड़ी कठिन है.

चाहे बल्लेबाज हों या गेंदबाज, दोनों का प्रदर्शन खराब रहा. पहला दोष बल्लेबाजों का था. टीम इंडिया के आधे से अधिक खिलाड़ी छक्का लगाने के प्रयास में सीमा रेखा पर कैच आउट हुए. यानी तय कर लिया था कि सिंगल या डबल नहीं लेंगे, छक्का लगायेंगे. एक के बाद एक बल्लेबाज आउट होते गये, लेकिन सुधरे नहीं.

कोहली जैसा खिलाड़ी भी स्ट्राइक रोटेट करने में असफल रहे और इससे जो दबाव बना, उससे उबरने के लिए छक्का का प्रयास किया और आउट हो गये. यही गलती लगभग सभी बल्लेबाजों ने की. रोहित तीसरे नंबर पर खेलने आये थे और तय कर लिया था कि जल्द आउट होना है. पहली ही गेंद पर कैच भी छूटा. फिर भी नहीं संभले. पंत भी नहीं चले. अगर राहुल-किशन (ओपनिंग), रोहित और कोहली नहीं चले तो नीचे के खिलाड़ियों से बहुत उम्मीद नहीं की जा सकती. नीचे के खिलाड़ी दबाव में बिखर गये.

110 का स्कोर, ऐसा स्कोर नहीं था जिससे थेड़ी भी उम्मीद बने. यह तभी संभव था जब पावर प्ले में तीन विकेट मिल जाये. यहां तो एक विकेट चटकाने में भारतीय गेंदबाजों को पसीना आ गया था. अगर बुमराह ने ठीक गेंदबाजी नहीं की होती तो शायद फिर 10 विकेट से हारते.

बड़ा नाम था वरुण चक्रवर्ती का. यही मान कर टीम में रखा गया था कि उनके बारे में न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों को ज्यादा पता नहीं होगा और तुरुप का पत्ता साबित होंगे. न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने वरुण की भी धुलाई की. शमी नहीं चले.

हारे तो हारे लेकिन इतने बुरे तरीके से हारने पर सवाल उठता ही है कि आखिर कहां चूक हुई? हर बार ओस को दोष देने से क्या होगा? भारतीय खिलाड़ियों के पास अपने बहुत कुछ बचा नहीं है. सिर्फ दूसरी टीमों के समीकरण से उम्मीदों का सपना पालना होगा. तीन मैच बचे हैं और इसमें भी एक अफगानिस्तान से है.

अफगानिस्तान ने हाल के दिनों में अच्छा खेल दिखाया है और आज कि दिन वह प्वाइंट टेबल में भारत से काफी ऊपर है. अब टीम इंडिया बाकी मैचों में बेहतर खेल दिखाती भी है, सभी मैच जीतती भी है तो भी उसके सेमीफाइनल में खेलने के आसार बहुत-बहुत कम ही दिखते हैं.

Next Article

Exit mobile version