Tokyo 2020 : रोटी के लिए लगायी थी पहली दौड़, आज भारत को दुती चंद के रूप में मिल गयी रफ्तार की Queen
Tokyo 2020 : भारत की स्टार फर्राटा धाविका दुती चंद (Indian sprinter Dutee Chand) ने वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. दुती 100 ओर 200 मीटर में 56 खिलाड़ियों की सूची में क्रमश: 41वें और 50वें स्थान पर थी. टोक्यो आलंपिक के लिए क्वालीफाइ करने के बाद दुती ने कहा, उन्हें इस खबर से गर्व और खुशी महसूस हो रही है.
Tokyo 2020 : भारत की स्टार फर्राटा धाविका दुती चंद (Indian sprinter Dutee Chand) ने वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. दुती 100 ओर 200 मीटर में 56 खिलाड़ियों की सूची में क्रमश: 41वें और 50वें स्थान पर थी. टोक्यो आलंपिक के लिए क्वालीफाइ करने के बाद दुती ने कहा, उन्हें इस खबर से गर्व और खुशी महसूस हो रही है.
दुती ने अपने ट्रेनर को इसके लिए धन्यवाद कहा. उन्होंने कहा, उनका लक्ष्य ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने पर होगा. सबसे पहले वो सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करना चाहेंगी.
Odisha | I’m feeling proud & happy to be qualified for the Tokyo Olympics in both the 100m & 200m races via the World Rankings quota. I’m very thankful to my trainers. I will perform well in Olympics & I aim to qualify for the semi-finals: Indian sprinter Dutee Chand pic.twitter.com/ZStwXF46Y8
— ANI (@ANI) July 4, 2021
उन्होंने बताया कि वो सुबह 6 बजे से 10 बजे, 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक अभ्यास करती हैं. फिर शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक. उन्होंने बताया, वो रोजाना लगभग छह से सात घंटे अभ्यास करती हैं.
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ये तो बात हो गयी दुती के टोक्यो आलंपिक में क्वालीफाइ करने की. लेकिन आपको शायद की मालूम हो दुती की ट्रैक तक पहुंचने की कहानी संघर्षों से भरी है. दरअसल दुती की जन्म ओडिशा के जाजपुर में एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसा महीने में दुती के पिता केवल 500 रुपये ही कमा पाते थे. जिससे बड़ी परिवार का लालन-पालन करना काफी मुश्किल हो जाता था.
एक साक्षात्कार में दुती ने बताया था कि उन्होंने अपने करियर की पहली रेस रोटी के लिए लगायीं थीं. उस रेस ने उनकी जिंगदी का मक्सद ही बदल कर रख दिया. रोटी से शुरू हुई दौड़ को उन्होंने अपना करियर बना लिया.
शुरुआत में दुती नंगे पांव रेत पर भागती थी. उसके पास न तो जूते थे और न ही दौड़ने के लिए अच्छे मैदान. फिर भी दुती ने हिम्मत नहीं हारी और ट्रैक पर भागना जारी रखा. दुती बताती हैं कि उन्हें दौड़ने का जुनून था, जो दिनों दिन बढ़ता ही गया और आज देश को रफ्तार की क्वीन मिल गयी.