Tokyo Olympics 2020: हॉकी ऐसी स्पर्धा है, जिसमें भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है. भारतीय हॉकी की जादूगरी का दुनिया ने लोहा माना है. ओलिंपिक हॉकी में आठ स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की इस खेल में बादशाहत को खत्म हुए इतना समय हो चुका है कि नयी पीढ़ी इससे पूरी तरह अंजान है. यह तस्वीर का एक पहलू है, हकीकत यह भी है कि हमें ओलिंपिक के पोडियम पर पहुंचे 41 साल हो चुके हैं. हालांकि पिछले दो-तीन वर्षों में कई बड़ी टीमों को प्रदर्शन से चौंकाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम का मनोबल ऊंचा है और इस बार पदक की संभावनाएं मजबूत मानी जा रही हैं. टीम आजकल बेंगलुरु स्थित साइ केंद्र में अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है.
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सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड – भारतीय टीम ने 1932 के ओलिंपिक में अमेरिका की टीम को 24-1 से हराया था और यह ओलिंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा गोल अंतराल से जीत का रिकॉर्ड है. 1980 में अंतिम बार भारतीय हॉकी टीम ओलिंपिक में मेडल जीतने में सफल हुई थी
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11 मेडल जीते हैं कुल ओलिंपिक में
ओलिंपिक मेडल
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1928, एम्सटरडमगोल्ड
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1932 लॉस एंजिलिसगोल्ड
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1936 बर्लिन गोल्ड
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1948 लंदन गोल्ड
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1952 हेलसिंकीगोल्ड
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1956 मेलबर्न गोल्ड
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1960 रोमा सिल्वर
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1964 तोक्यो गोल्ड
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1968 मैक्सिको सिटीब्रॉन्ज
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1972 म्यूनिख ब्रॉन्ज
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1980 मास्को गोल्ड
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मेडल के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम शानदार तैयारी कर रही हैं. टीम दुनिया की सबसे फिट टीमों में से एक है. कोच का ध्यान रफ्तार, पैनापन, कौशल और फिटनेस पर है, ताकि तोक्यो में पहुंचने पर टीम सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में रहे. कोच मैदान पर पोजिशन के अनुसार ही अभ्यास पर फोकस कर रहे हैं. स्ट्राइकर डी के भीतर के प्रदर्शन पर ध्यान दे रहे हैं.
मनप्रीत सिंह इस टीम का बेहद अहम हिस्सा हैं. साल 2011 में उन्होंने टीम में डेब्यू किया था. तबसे वह लगातार टीम का हिस्सा हैं. 28 साल के मिडफील्डर ने देश के लिए 267 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 22 गोल किये हैं. उनकी कप्तानी भी कमाल की है. वह युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करते हैं. यह उनका तीसरा ओलिंपिक है. वहीं पीआर श्रीजेश भी ऐसे अनुभवी खिलाड़ी हैं, जिनका टीम में होना हमेशा खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद रहा है. साल 2006 से खेल रहे हैं और तभी से टीम के नंबर वन गोलकीपर है. यह उनका आखिरी ओलिंपिक भी हो सकता है.