विराट कोहली की कप्तानी छीनने पर इस पूर्व भारतीय कोच ने चयनकर्ताओं पर साधा निशाना, कही यह बात
विराट कोहली को वनडे टीम की कप्तानी से हटाने पर पूर्व कोच मदन लाल ने कहा कि भ्रम क्यों होगा. हर कप्तान की एक अलग शैली होती है, इसलिए भ्रम किस लिए है. टेस्ट और सीमित ओवरों में शैली वैसे भी बदल जायेगी. विराट और रोहित की टीमों का नेतृत्व करने की अपनी शैली है. धोनी की भी अपनी शैली थी.
नयी दिल्ली : विराट कोहली को भारत के वनडे कप्तान के पद से हटाने पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. विराट कोहली को कप्तानी से हटाकर रोहित शर्मा को टी-20 के साथ-साथ वनडे टीम का भी कप्तान बना दिया गया है. बुधवार को बीसीसीआई ने इसकी घोषणा की. रोहित शर्मा टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे से लेकर 2023 वर्ल्ड कप तक के लिए कप्तान बनाया गया है.
जब विराट कोहली ने टी-20 इंटरनेशनल की कप्तानी छोड़ दी थी और एकदिवसीय और टेस्ट के कप्तान बने रहने की इच्छा जतायी थी, तब माना जा रहा था कि वर्ल्ड कप तक वे वनडे टीम के कप्तान बने रहेंगे. बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने इस फैसले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि चयनकर्ताओं के लिए वनडे और टी-20 आई के लिए दो अलग-अलग कप्तान रखने का कोई इरादा नहीं था, तभी विराट कोहली को हटाया गया.
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इस फैसले पर पूर्व ऑलराउंडर और मुख्य कोच मदन लाल को लगता है कि अगर कोहली का रिकॉर्ड एकदिवसीय मैचों में कप्तान के रूप में अच्छा था तो उन्हें भूमिका से बर्खास्त करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. लाल ने कहा कि उनका मानना है कि कोहली दो साल बाद घर पर 50 ओवर के विश्व कप में भारत का नेतृत्व करेंगे, यही वजह है कि यह खबर और भी आश्चर्यजनक है.
लाल ने कहा कि मुझे नहीं पता कि चयनकर्ताओं ने इस बारे में क्या सोचा है, लेकिन अगर कोहली सही परिणाम दे रहे हैं तो उन्हें बदला क्यों? उन्होंने कहा कि अगर आप सफल होते हैं और फिर भी आपको हटा दिया जाता है, तो यह निश्चित रूप से गलत है. मैं सोच रहा था कि कोहली 2023 विश्व कप तक कप्तान के रूप में बने रहेंगे. एक टीम को बनाना बहुत मुश्किल है, लेकिन इसे नष्ट करना आसान है.
लाल ने गांगुली से उस बयान पर कि सफेद गेंद के दो प्रारूपों में दो अलग-अलग नेता संभावित रूप से भ्रम पैदा कर सकते हैं, कहा कि यह पहली बार नहीं होगा कि खिलाड़ी अलग-अलग कप्तानों के तहत खेले होंगे. सालों तक, एमएस धोनी ने एकदिवसीय और टी-20 ईटरनेशनल में भारत का नेतृत्व किया, जबकि कोहली टेस्ट टीम के प्रभारी थे. लाल का मानना है कि गैर-पारदर्शिता की कोई गुंजाइश नहीं थी क्योंकि खिलाड़ियों ने विभिन्न शैलियों के कप्तानों के तहत अच्छा प्रदर्शन किया है और यह अलग नहीं होता.