भारत के बल्लेबाज विराट कोहली रविवार को खेल के तीनों प्रारूपों में 100 मैच खेलने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गये. उन्होंने रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में एशिया कप ग्रुप ए मैच में मैदान पर उतरते ही पाकिस्तान के खिलाफ उपलब्धि हासिल की. इस प्रतियोगिता से पहले, विराट ने 99 टी-20 आई में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें उन्होंने 50.12 की औसत से 3,308 रन बनाये हैं. इस प्रारूप में भारत के लिए उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर 94 है और उन्होंने इस प्रारूप में 30 अर्धशतक भी बनाये हैं.
भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने मैच में पाकिस्तान के खिलाफ क्षेत्ररक्षण करने का विकल्प चुना और पाकिस्तान को 147 के स्कोर पर समेट दिया. कोहली अब 100 टी-20 आई में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले दूसरे भारतीय पुरुष खिलाड़ी बन गये हैं और वह न्यूजीलैंड के पूर्व बल्लेबाज रॉस टेलर के बाद खेल के तीनों प्रारूपों में 100 मैच खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी भी हैं.
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कोहली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में अब तक 262 वनडे और 102 टेस्ट मैच खेले हैं. उनके नाम 70 अंतरराष्ट्रीय शतक हैं, लेकिन उन्होंने आखिरी बार नवंबर 2019 में एक शतक बनाया था और तब से तीन अंकों के निशान तक नहीं पहुंच पाये हैं. 100 टी-20 आई खेलने पर होस्ट ब्रॉडकास्टर स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए, कोहली ने कहा, ‘आप संख्याओं को देख सकते हैं, लेकिन मेरे लिए, अर्थ पूरी तरह से अलग है. यह उच्चतम स्तर पर खेल खेलने की मांगों को ध्यान में रखते हुए लंबी उम्र को दर्शाता है. अपने खेल को बार-बार पोषित करने के लिए, यह इस बात का प्रतिबिंब है कि कोई अपना जीवन कैसे जीना चाहता है.
इस साल की शुरुआत में विराट को इंग्लैंड दौरे के बाद वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज से आराम दिया गया था. बल्लेबाज ने खुलासा किया कि कैसे वह जोश का दिखावा कर रहा था और कैसे वह मानसिक रूप से टूट गया था. उन्होंने कहा कि 10 साल में पहली बार, मैंने एक महीने तक बल्ले को नहीं छुआ. मुझे एहसास हुआ कि मैं हाल ही में अपने जोश का दिखावा कर रहा था. आपका शरीर आपको रुकने के लिए कह रहा है और यह आपको एक ब्रेक के लिए कह रहा है.
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उन्होंने कहा कि मुझे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो मानसिक रूप से बहुत मजबूत है और मैं हूं. हर किसी की एक सीमा होती है और आपको जरूरत होती है उस सीमा को पहचानने के लिए अन्यथा चीजें आपके लिए अस्वस्थ हो सकती हैं. इस दौर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, आप कई चीजें जानते हैं जिन्हें मैं सतह पर नहीं आने दे रहा था. जब यह सामने आया, तो मैंने इसे गले लगा लिया. मुझे यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है कि मैं मानसिक रूप से कमजोर महसूस कर रहा था, यह महसूस करना एक सामान्य बात है. लेकिन हम बोलते नहीं हैं क्योंकि हम हिचकिचाते हैं.