जब पाकिस्तान में भारतीय क्रिकेटर्स के सामने तन गई AK47, दिग्गज ने सुनाया वह खौफनाक मंजर

Mohinder Amarnath: भारतीय खिलाड़ियों के पाकिस्तान में जाने पर AK 47 तन गई थी. मोहिंदर अमरनाथ ने इसका खुलासा जयपुर लिट फेस्ट में किया.

By Anant Narayan Shukla | February 2, 2025 1:02 PM

Mohinder Amarnath: भारत और पाकिस्तान क्रिकेट टीमों के बीच केवल मैदान पर ही नहीं, बल्कि जब ये खिलाड़ी किसी पार्टी या समारोह में मिलते हैं, तब भी खास रोमांच होता है. एक बार पाकिस्तान में ऐसा ही एक दृश्य देखा गया, जिसमें भारतीय क्रिकेटरों को पाकिस्तानी सेना के जवानों ने घेर लिया था और मामला इतना बढ़ गया कि भारतीय खिलाड़ी जेल जाने तक की स्थिति में आ गए थे. यह घटना सुनील गावस्कर की चतुराई के कारण सुलझी, जब उन्होंने सेना के जवानों को सही जवाब दिया.

यह कहानी पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में साझा की. अमरनाथ, जो 1983 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल और फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच रहे, ने बताया कि जब वे पाकिस्तान दौरे पर गए थे, तो उनके मैनेजर ने उन्हें शराब लेकर चलने को कहा, लेकिन पाकिस्तान पहुंचने पर उन्हें पता चला कि यहां तो शराब की कोई कमी नहीं थी.

अमरनाथ ने आगे बताया कि वे एक पार्टी में गए थे, जहां पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी भी मौजूद थे. वहां पहुंचने पर अंधेरा था और अचानक पाकिस्तानी सेना के जवान एके-47 राइफल्स के साथ आ पहुंचे. उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ी शराब नहीं पी सकते और यदि कुछ बोलते तो पुलिस को बुलाकर गिरफ्तार कर लिया जाता. उस समय भारत के कप्तान सुनील गावस्कर ने जवाब दिया कि अगर पाकिस्तानी खिलाड़ियों को गिरफ्तार किया जाएगा, तो हमें भी गिरफ्तार करो. इसके बाद सभी को छोड़ दिया गया.

मोहिंदर अमरनाथ ने केवल सुनील गावस्कर की हाजिरजवाबी का किस्सा ही नहीं सुनाया, बल्कि उनके खेल की भी जमकर तारीफ की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “अगर मुझे सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और सुनील गावस्कर में से किसी को चुनना होता, तो मैं सनी (सुनील गावस्कर) को चुनता.” उनका मानना था कि सुनील गावस्कर का खेल और नेतृत्व क्षमता उन तीनों में सबसे बेहतरीन थी.

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मोहिंदर अमरनाथ का कैरियर

मोहिंदर अमरनाथ ने 1969 से 1989 तक भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेला. उन्होंने 69 टेस्ट मैचों में 11 शतक और 25 अर्धशतक के साथ 4,878 रन बनाए, जबकि 32 विकेट भी हासिल किए. वनडे क्रिकेट में उन्होंने 85 मैचों में 2 शतक और 13 अर्द्धशतक के साथ 1,924 रन बनाए और 46 विकेट लिए. 1983 विश्व कप में उनकी अहम भूमिका रही, खासकर सेमीफाइनल और फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच के रूप में. अनुभवी क्रिकेटर, क्रिकेट विश्लेषक और कमेंटेटर मोहिंदर अमरनाथ खेल के प्रति अपनी दृढ़ता और जुनून के लिए प्रसिद्ध हैं, जो उनके दो दशकों के शानदार करियर में झलकता है. अपने भाई राजेंद्र अमरनाथ के साथ मिलकर लिखी गई उनकी पुस्तक ‘फियरलेस’ एक बेबाक और दिलचस्प संस्मरण है, जो ‘द कमबैक किंग’ के जीवन की यात्रा को चित्रित करती है और क्रिकेट के स्वर्णिम युग की यादें ताजगी से जिंदा करती है.

छोटे प्रारूपों के कारण खिलाड़ियों की मानसिकता बदल गई है

मोहिंदर अमरनाथ ने इसी लिट फेस्ट के दौरान टेस्ट क्रिकेट के दौरान मैचों के जल्दी खत्म होने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई. उनका कहना था, “पहले टेस्ट मैच पांच दिन में समाप्त होते थे, लेकिन अब ये सिर्फ 2.5 से 3 दिन में खत्म हो रहे हैं, जो न तो खेल के लिए अच्छा है और न ही प्रशंसकों के लिए.” उन्होंने बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण विकेट की जरूरत पर जोर दिया.

अमरनाथ ने भारत के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) में संघर्ष को टी20 क्रिकेट के बढ़ते प्रभाव से जोड़ा. उन्होंने कहा, “छोटे प्रारूपों के कारण खिलाड़ियों की मानसिकता बदल गई है और अब वे छोटे मैदानों पर सफेद गेंद क्रिकेट में गेंदबाज से बचने की कोशिश करते हैं बजाय विकेट लेने के.” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि मनोरंजन को कौशल आधारित क्रिकेट पर प्राथमिकता दी जाती है, तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए लंबे समय में नुकसानकारी हो सकता है.

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कोई भी खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं है

कुछ खिलाड़ियों के रवैये पर भी उन्होंने टिप्पणी की और कहा कि कुछ खिलाड़ी यह सोचने लगे हैं कि वे खेल से बड़े हैं, और यह मानसिकता बदलनी चाहिए. प्रथम श्रेणी क्रिकेट के महत्व पर जोर देते हुए अमरनाथ ने घरेलू टूर्नामेंटों से बाहर रहने वाले खिलाड़ियों की आलोचना की. उनका कहना था, “अगर कोई खिलाड़ी अपने राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं करता, तो यह उसकी क्रिकेट यात्रा के लिए बड़ी कमी है. पेशेवर खिलाड़ी होने के नाते, उन्हें कोई बहाना नहीं होना चाहिए और प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना चाहिए.” उन्होंने दोहराया कि कोई भी खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं है और राष्ट्रीय सफलता के लिए घरेलू क्रिकेट में समर्पण जरूरी है.

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