पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम के प्रशिक्षण सत्रों में कई नये प्रयोग किये जा रहे हैं. टीम इंडिया इंग्लैंड के द ओवल में 7 जून से शुरू होने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल से पहले रंग बिरंगी गेंद से अभ्यास कर रही है. ये रबर की गेंदें हैं. भारतीय खिलाड़ी इन गेंदों का इस्तेमाल फिल्डिंग की प्रैक्टिस के लिए कर रहे हैं. उभरते स्टार शुभमन गिल को हरे रंग की गेंद के साथ कैच प्रैक्टिस करते देखा गया.
अभ्यास के दौरान पीले रंग की गेंदें भी देखने को मिली. लेकिन ये लॉन टेनिस गेंदें नहीं थीं. एनसीए और राष्ट्रीय शिविरों में काम कर चुके एक प्रसिद्ध फील्डिंग कोच ने पीटीआई को बताया कि ये विशेष रूप की रबर की गेंदें हैं, न कि हम गली क्रिकेट में खेलने वाली गेंदें हैं. इसे फील्डिंग ड्रिल के लिए बनाया जाता है. इन गेंदों को ‘रिएक्शन बॉल्स’ नाम दिया गया है और इसका उपयोग केवल कुछ देशों इंग्लैंड या न्यूजीलैंड में फील्डिंग ड्रिल के लिए किया जाता है.
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उन्होंने बताया कि ठंड वाली जगहों पर इस प्रकार के गेंद से अभ्यास करने से फायदा मिलता है. यह पूछे जाने पर कि क्या हरे रंग की गेंदों का कोई महत्व है जो गिल को कैच का अभ्यास करने के लिए इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि किसी विशेष रंग के लिए कोई विशिष्ट वैज्ञानिक या क्रिकेट कारण है. लेकिन विशेष रूप से स्लिप क्षेत्ररक्षकों और कीपरों के लिए यह अभ्यास उपयोगी साबित होता है.
इंग्लैंड में हवा में नमी होने के कारण ड्यूक गेंदें काफी डगमगाती हैं. इसलिए रबर की गेंदों से अभ्यास करने का फायदा मिलता है. इंग्लैंड एकमात्र देश है जहां बल्ले के बाहरी किनारे से टकराने के बाद गेंद काफी डगमगाती हुई आती है, जिससे फिल्डिंग के दौरान गेंद पकड़ने में काफी परेशानी होती है. कुछ हद तक न्यूजीलैंड में भी ऐसा ही होता है.