आईपीएल 2023 में राजस्थान रॉयल्स के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल को वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम में जगह दी गयी है. जायसवाल ने अनुभवी चेतेश्वर पुजारा की जगह ली है. मुंबई के सांताक्रूज में एक 2बीएचके के फ्लैट में रहने वाले जायसवाल के सपनों को अब नया पंख मिल गया है. मुंबई के बल्लेबाज को अब उनके फैंस टीम इंडिया की जर्सी में देखेंगे. जायसवाल ने यह मुकाम हासिल करने के लिए काफी संघर्ष किया है.
क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि यशस्वी जायसवाल भारत के लिए नये टेस्ट एक्सपर्ट बन सकते हैं, जो नंबर तीन पर बल्लेबाजी करेंगे. 21 साल के जायसवाल भारतीय क्रिकेट में बदलाव की शुरुआत का प्रतीक हैं. जायसवाल ने कुछ मौकों पर अपने संघर्ष की कहानी बयां की है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह वह पल है जिसका मैं पूरी जिंदगी सपना देखता रहा हूं. ऐसी रातें थीं जब वह बिस्तर पर लेटे हुए खुद को भारतीय टीम के साथी खिलाड़ियों के साथ देखता था, जहां मैं अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर भीड़ की तालियों का स्वागत करता था.
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समय बदल गया है लेकिन जायसवाल नहीं. जायसवाल अपने पुराने दिनों को नहीं भुले. वह आज भी अपनी वही सेकेंड-हैंड कार चलाते हैं जो उन्होंने कुछ साल पहले खरीदी थी. वह अपने भाई के साथ घुमने का प्लान बनाते हैं और मुंबई की ट्रैफिक से बचने के लिए ऑटो की सवारी करते हैं. अपनी संघर्ष गाथा में उन्होंने बताया था कि किस प्रकार परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने गोलगप्पे भी बेचे हैं. उन्हें एक कोच ज्वाला सिंह मिले और उसके बाद चीजें पटरी पर आ गईं.
उन्हें एक कहानी याद है कि कैसे वह और उनके रूममेट मुंबई के प्रेस क्लब में बड़ी स्क्रीन पर आईपीएल मैच देखने के लिए आजाद मैदान के एक पेड़ पर चढ़ जाते थे. वह याद करते हैं, ‘मैंने अपने रूममेट से कहा था कि एक दिन तुम मुझे वानखेड़े स्टेडियम में रोशनी में खेलते हुए देखोगे.’ वह दिन आया जब उन्होंने इस सीजन में वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई इंडियंस के खिलाफ शतक बनाया और वे पुराने पल ताजा हो गये.
जायसवाल शुरू से अपनी प्रतिभा दिखाना चाहते थे और वह कई बार आजाद मैदान के पास के नेट्स में अभ्यास करने चले जाते थे. उस समय उन्हें वहां से भगा दिया जाता था. वह हमेशा मौका चाहते थे. कुछ साल पहले राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के अंडर-19 शिविर के दौरान, वह निचले क्रम में बल्लेबाजी कर रहे थे. उन्हें कम गेंदें खेलने के लिए मिलती थी. वह पश्चिम क्षेत्र के कोच सुरेंद्र भावे के पास पहुंचे और उनसे अनुरोध किया कि उन्हें ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करने का एक मौका दिया जाए. उन्हें मौका मिला और जयसवाल ने शतक जड़ दिया.