Yograj Singh: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान विराट कोहली का प्रदर्शन सबके लिए चिंता का सबब रहा. उन्होंने अब तक की तमाम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सबसे बुरा खेल दिखाया. 5 मैचों की 9 पारियों में उन्होंने केवल 190 रन बनाए. इन रनों में पर्थ में लगाया गया उनका एक शतक भी शामिल है. इस पूरी सीरीज के दौरान वे एक ही तरह से विकेट के पीछे कैच आउट हुए. पूर्व दिग्गजों समेत सोशल मीडिया पर उनकी काफी किरकिरी हो रही है. कई पूर्व खिलाड़ियों ने उन्हें घरेलू क्रिकेट खेलने की सलाही दी है. इसी बीच अब उन्हें पूर्व खिलाड़ी और युवराज सिंह के पिता योगराज का साथ मिला है. उन्होंनेकहा कि अगर कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है, तो उसे ट्रेडिशनल कोचिंग की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए मैन-मैनेजमेंट की आवश्यकता है.
योगराज सिंह ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “जब आप भारत के लिए खेल रहे होते हैं तो कोच की भूमिका एक महत्वपूर्ण सवाल बन जाती है. जब आप भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एक असाधारण खिलाड़ी होते हैं, तो आपको पारंपरिक अर्थों में कोचिंग की आवश्यकता नहीं होती है. आपको वास्तव में मैन मैनेजमेंट के लिए किसी की आवश्यकता होती है. कभी-कभी, एक खिलाड़ी का दिमाग ब्लॉक हो जाता है, वे रन नहीं बना पाते हैं या वे बार-बार आउट हो जाते हैं. कोई भी खिलाड़ी कितना भी महान क्यों न हो, वह खेल से बड़ा नहीं हो सकता है.”
विराट को दी खास सीख
विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 9 पारियों में 8 बार विकेट के पीछे कीपर या स्लिप्स कॉर्डन में कैच आउट हुए हैं. योगराज सिंह ने कहा, “ऐसे खिलाड़ियों को किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जो उन्हें मार्गदर्शन दे सके, जो कहे, ‘चलो नेट पर चलते हैं और इस पर काम करते हैं’. उदाहरण के लिए, विराट कोहली कई बार अपना पसंदीदा शॉट खेलते हुए आउट हो गए – दाएं हाथ से पुश करना. यह शॉट भारतीय पिचों पर, इंग्लैंड में और अन्य जगहों पर कारगर है. लेकिन कुछ पिचों पर जहां गेंद ज्यादा उछलती है और ज्यादा दूर तक जाती है, किसी को उनसे कहना चाहिए था, ‘विराट, यह शॉट मत खेलो’. बस सीधा खेलो या इस गेंद को छोड़ दो.
गंभीर टीम को आगे ले जाने में सक्षम
इसी सीरीज के दौरान गौतम गंभीर की कोचिंग पर भी सवाल उठने लगे हैं. जब से वे हेड कोच बने हैं भारत तीसरी सीरीज हारा है. योगराज ने कहा, “यह कोचिंग और प्रबंधन के बीच अंतर को दर्शाता है. किसी खिलाड़ी की तकनीकी गलती को पहचानना और उसे इंगित करना कोचिंग है. किसी को इन तकनीकी मुद्दों को पहचान कर खिलाड़ियों तक पहुंचाने की जरूरत है. लेकिन रोहित शर्मा या विराट कोहली को कौन बताएगा? यहां तक कि वे भी चाहते हैं कि कोई आकर उन्हें बताए कि क्या गलत हो रहा है.” मुख्य कोच गौतम गंभीर की कोचिंग शैली के बारे में बात करते हुए सिंह ने कहा, “गंभीर एक शानदार क्रिकेटर हैं और उनका दिमाग भी तेज है. उनमें टीम को आगे ले जाने की क्षमता है. हालांकि जहां कोई गलती होती है, वह उसे बताते हैं और यह सही भी है. लेकिन युवा खिलाड़ियों को एकजुट रखने के लिए उचित प्रबंधन जरूरी है.”
हार के बाद टीम के खिलाड़ियों का बढ़ाया मनोबल
भारतीय टीम के बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में 1-3 से हार के बाद ऑस्ट्रेलिया ने एक दशक बाद इस पर अपना कब्जा जमाया. योगराज ने खिलाड़ियो का मनोबल बढ़ाते हुए कहा, “किसी को उन्हें यह बताने की ज़रूरत है कि ‘विराट, यह कोई बड़ी बात नहीं है; यह सबके साथ होता है’. ‘रोहित, चिंता मत करो, ये दौर आते हैं और चले जाते हैं’. ‘बुमराह, तुम बढ़िया कर रहे हो; बस अपना ध्यान केंद्रित रखो’. युवा खिलाड़ियों, खासकर सिराज जैसे तेज़ गेंदबाज़ों को मार्गदर्शन और समर्थन की ज़रूरत है. किसी को उनके साथ खड़ा होना चाहिए, उन्हें रास्ता दिखाना चाहिए और खेल की बारीकियों को समझने में उनकी मदद करनी चाहिए.”
सिडनी टेस्ट में छह विकेट से हार के साथ भारत की 2025 के WTC फाइनल की रही सही उम्मीदें समाप्त हो गईं. साउथ अफ्रीका के बाद ऑस्ट्रेलिया दूसरी फाइनलिस्ट बनी. अब दोनों टीमें 11 जून से लॉर्ड्स में फाइनल में भिड़ेंगी. ऑस्ट्रेलिया अपना खिताब बचाने के लिए उतरेगा तो साउथ अफ्रीका प्रचंड जीत के रथ पर सवार होकर पहला बड़ा खिताब जीतने की कोशिश करेगा.
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