टीम इंडिया के लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने कहा कि प्रतिस्पर्धी स्तर पर शतरंज खेलने के कारण उन्हें अपने क्रिकेट करियर में चुनौतियों से निपटने के दौरान धैर्य बनाये रखने में मदद मिली है. विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके चहल यहां ‘ग्लोबल शतरंज लीग’ में एसजी अल्पाइन वॉरियर्स के दूत के रूप में पहुंचे. चहल ने कहा, ‘मुझे अपनी पहली जर्सी शतरंज में मिली थी और इस खेल ने पिछले कुछ वर्षों में मुझे धैर्य रखने के बारे में सिखाया है.’
युजवेंद्र चहल कहते हैं कि शतरंज से मुझे अपने क्रिकेट में मदद मिलती है क्योंकि कई बार ऐसा होता है जब आप अच्छी गेंदबाजी करने के बाद भी विकेट नहीं ले पाते हैं और ऐसे समय में आपको धैर्य की जरूरत होती है. उन्होंने जीसीएल के इतर कहा कि खेल में क्रिकेट से कई समानताएं हैं. इन दोनों खेल में आपको अपनी योजना बनाने की जरूरत होती है. शतरंज और क्रिकेट एक जैसे हैं.
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चहल ने कहा कि हालांकि क्रिकेट में आप अपनी आक्रामकता दिखा सकते हैं, लेकिन शतरंज में आप ऐसा नहीं कर सकते. यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आप शतरंज में कितने शांत हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया, ‘अगर मैं गेंदबाजी कर रहा हूं, तो मैं बल्लेबाज से कुछ कह सकता हूं, लेकिन शतरंज में, आपको शांत और धैर्य बनाये रखना चाहिए. यह चीज आपके लिए जीवन में भी मददगार होती है.’
इस 32 साल के खिलाड़ी ने कहा कि भारतीय क्रिकेट दल के कुछ सदस्य यात्रा के दौरान शतरंज खेलना पसंद करते है. उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘भारतीय क्रिकेट टीम में, कोई भी ऐसा नहीं है जो मुझे हरा सके. कभी-कभी मैं रविचंद्रन अश्विन या फिर हमारे ट्रेनर शंकर बासु के साथ खेलता हूं. हम आम तौर पर यात्रा के दौरान इस खेल का लुत्फ उठाते हैं.’