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WFI के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह को कड़ी शर्तों के साथ जमानत, जानें पूरा मामला

महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली की अदालत से जमानत मिल गयी है. उनको दो शर्तों के साथ जमानत दी गयी है. पहला वह बिना इजाजत विदेश नहीं जा सकते और दूसरा सबूतों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकते.

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह और डब्ल्यूएफआई के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर को 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है. दोनों पर छह महिला पहलवानों द्वारा दायर कथित यौन उत्पीड़न मामले और छेड़छाड़ मामले में मुकदमा चल रहा है. अदालत ने दोनों पर जमानत की दो शर्तें लगाईं, जिसमें कहा गया कि उन्हें अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं है और वे गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे. अदालत ने अब मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 जुलाई को सूचीबद्ध किया है.

सरकारी वकील ने कड़ी शर्तें लगाने की मांग की

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने गुरुवार को कहा, ‘मैं कुछ शर्तों के साथ 25,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे रहा हूं.’ सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे सरकारी वकील ने कहा कि अगर बृज भूषण और तोमर को राहत दी जाती है तो अदालत को कड़ी शर्तें लगानी चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जमानत का विरोध कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैं न तो विरोध कर रहा हूं और न ही समर्थन कर रहा हूं. आवेदन को कानून और अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार निपटाया जाना चाहिए.’

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शिकायकर्ता के वकील ने जमानत का किया विरोध

शिकायतकर्ता के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी बहुत प्रभावशाली है. उन्होंने कहा, ‘जमानत नहीं दी जानी चाहिए. यदि इसकी अनुमति दी जाती है, तो कड़ी शर्तें लगाई जानी चाहिए. समय-समय पर गवाहों से संपर्क किया गया है.’ 66 वर्षीय बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से छह बार सांसद हैं और उन्होंने 12 वर्षों तक कुश्ती संस्था पर शासन किया है. सिंह के खिलाफ कुल 21 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराये हैं, जिनमें से छह ने सीआरपीसी 164 के तहत अपने बयान दिये हैं. यह मंगलवार को अदालत द्वारा दोनों को दो दिन की अंतरिम जमानत दिये जाने के बाद आया है.

जांच में सहयोग कर रहे हैं बृजभूषण

अदालत द्वारा अंतरिम जमानत दिये जाने के बाद, जसपाल ने कहा, ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर, आरोपी व्यक्तियों को 25,000 रुपये की राशि के जमानत बांड प्रस्तुत करने पर सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत में भर्ती किया जाता है. प्रत्येक के पास समान राशि की एक जमानत होगी.’ सिंह और तोमर की ओर से पेश वकील राजीव मोहन और वकील रेहान खान ने इस आधार पर जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की कि आरोप पत्र गिरफ्तारी के बिना दायर किया गया था और वे जांच में सहयोग कर रहे थे.

दिल्ली पुलिस ने 15 जून को दाखिल किया आरोपपत्र

दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवानों की शिकायत पर सिंह और तोमर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत 15 जून को आरोप पत्र दायर किया था. इससे पहले, भाजपा सांसद के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें से एक यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक नाबालिग पहलवान के मामले में दायर की गयी थी. बाद में पीड़िता ने अपने बयान बदल दिये. दूसरा मामला कई महिला पहलवानों की शिकायत पर दर्ज किया गया था.

पहलवानों का विरोध प्रदर्शन

ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट सहित प्रसिद्ध भारतीय पहलवानों ने बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर 38 दिनों तक जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था. उन्होंने जून की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ अलग-अलग बैठकों के बाद अपना विरोध स्थगित कर दिया. दोनों मंत्रियों ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि मामले में आरोप पत्र 15 जून तक दायर किया जायेगा. हालांकि पहलवानों ने कहा है कि वह अपनी लड़ाई अदालत में जारी रखेंगे.

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