European Football Club : बढ़ रही है भारतीय एफसी के साथ साझेदारी

यूरोपीय फुटबॉल क्लबों का भारत की तरफ रुख करना भारतीय फुटबॉल के लिए सुखद समाचार है. बीते सप्ताह इंग्लिश फुटबॉल क्लब, नॉर्विच सिटी और चेन्नई स्थित भारतीय फुटबॉल क्लब, चेन्नईयिन- जिसके ओनर एक्टर अभिषेक बच्चन हैं- ने दोनों क्लबों के बीच एक स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की घोषणा की. गार्डियन डॉट कॉम के हवाले से कई न्यूज […]

By Aarti Srivastava | April 16, 2024 12:07 PM

यूरोपीय फुटबॉल क्लबों का भारत की तरफ रुख करना भारतीय फुटबॉल के लिए सुखद समाचार है.

बीते सप्ताह इंग्लिश फुटबॉल क्लब, नॉर्विच सिटी और चेन्नई स्थित भारतीय फुटबॉल क्लब, चेन्नईयिन- जिसके ओनर एक्टर अभिषेक बच्चन हैं- ने दोनों क्लबों के बीच एक स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की घोषणा की. गार्डियन डॉट कॉम के हवाले से कई न्यूज पोर्टल ने इस बारे में जानकारी साझा की है. मजेदार बात यह रही कि इस घोषणा के समय खाने के मेन्यू में नॉरफोक सरसों के साथ इडली-सांबर था. नॉर्विच सिटी, जिसे कैनरी भी कहा जाता है, नवीनतम यूरोपीय क्लब है, जिसने अपने फैंस, रेवेन्यू और संभवत: टैलेंट की खोज में इस उपमहाद्वीप का रुख किया है. इससे पूर्व यूरोप के बड़े क्लब इस उपमहाद्वीप में आ चुके हैं और अभी भी चीन में सक्रिय हैं. अब जबकि भारत विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है, ऐसे में बड़े पैमाने पर फुटबॉल प्रेमी यह मान रहे हैं कि यूरोपीय फुटबॉल क्लब (FC) के मामले में भी वह चीन से आगे निकल जायेगा.

कई कारणों से चीन से दूरी बना रहे हैं European FC

यह सच है कि भारतीय उपमहाद्वीप की तरफ आकर्षित होने वाले बड़े यूरोपीय फुटबॉल क्लब का ठिकाना अभी भी चीन ही है. बड़े एफसी क्लब अभी भी वहां सक्रिय हैं, परंतु वहां इन क्लबों के लिए अपनी मर्जी से ऑपरेट करना आसान नहीं है. महामारी के पहले से भी वहां के हालात ऐसे ही रहे हैं. इसी कारण इन क्लबों को अधिक सोचने और द्वीपीय कारोबारी माहौल तैयार करने में मदद मिली. संभवत: यूरोपीय अधिकारियों के लिए पारदर्शिता की कमी, भाषा और सोशल मीडिया के एकदम भिन्न मॉडल के साथ-साथ भ्रष्टाचार से निपटना यहां कठिन प्रतीत हो रहा हो. गार्डियन डॉट कॉम की मानें, तो चीनी कंपनियों और व्यवसायियों ने कुछ समय के लिए तो यूरोपीय फुटबॉल के साथ खूब जुड़ाव दिखाया, परंतु यहां मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार के कुछ प्रयास भी हुए. वर्ष 2006 में इंग्लिश फुटबॉल क्लब शेफील्ड यूनाइटेड एक चाइनीज टीम (जिसका नाम बाद में बदलकर चेंग्दु ब्लेड्स रखा गया) को खरीदने वाला पहला विदेशी क्लब बना, परंतु भ्रष्टाचार और मैच फिक्सिंग के कारण यह साथ लंबा नहीं चल सका.

2014 में आईएसएल के गठन के साथ भारत में बढ़ी विदेशी क्लबों की सक्रियता

भारत में 2014 में जब Indian Super Legue (ISL) का गठन हुआ, तब इसमें मात्र आठ टीमें शामिल थीं, जो अब बढ़कर 12 हो गयी हैं. हालांकि Alessandro Del Piero जैसे बड़े खिलाड़ी अब इसमें नहीं हैं, परंतु बीते 10 वर्षों में यह टूर्नामेंट पूरी तरह व्यवस्थित हो गया है. ISL के साथ अगले सीजन से कोलकाता के दिग्गज क्लब- ईस्ट बंगाल, मोहन बागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग भी जुड़ने वाले हैं, साथ ही कुछ नये फ्रेंचाइजी भी इसमें शामिल होंगे.

ISL में शामिल वेस्टर्न पार्टनर


Indian Super League में बड़ी संख्या में वेस्टर्न पार्टनर भी शामिल हैं. उदाहरण के लिए स्कॉटिश फुटबॉल क्लब रेंजर्स 2019 में ब्लूज बेंगलुरु का भागीदार बना, तो जर्मन फुटबॉल दिग्गज बोरुसिया डॉर्टमुंड 2020 में हैदराबाद एफसी के साथ जुड़ा. इटली का पेशेवर फुटबॉल क्लब फियोरेंटीना, एफसी पुणे के साथ भागीदारी में है, वहीं जर्मनी का एक अन्य पेशेवर फुटबॉल क्लब आरबी लीपजिग, एफसी गोवा के साथ साझेदारी में है. बेसल, जो स्विटजरलैंड का एक प्रोफेशनल फुटबॉल क्लब है, वह आई-लीग के चेन्नई सिटी के साथ भागीदारी में है, वहीं अबू धाबी के सिटी फुटबॉल ग्रुप की मुंबई सिटी में 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.

भारत को बड़े बाजार का लाभ मिल रहा है

भारतीय क्लबों के साथ विदेशी कपंनियों के जुड़ने का एक बड़ा कारण यहां की बड़ी जनसंख्या तो है ही, साथ ही भारत एक बड़ा बाजार भी है. ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन के पूर्व महासचिव शाजी प्रभाकरन का भी मानना है कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और भारतीय यूरोपीय फुटबॉल के बड़े प्रशंसक भी हैं. ऐसे में यूरोपीय क्लबों का भारत की तरफ आकर्षित होना स्वाभाविक ही है. वास्तव में भारतीय क्लब अपने खिलाड़ियों के विकास, कोच एडुकेशन और अन्य रणनीतियों के बारे में जानकारी चाहते हैं. इनमें कई नये हैं और अनेक मामलों में नॉर्विच जैसी टीमों से वे बहुत कुछ सीख सकते हैं. चेन्नई भारत के बेहतर क्लबों में से एक है और उनका सारा ध्यान अपने खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने पर है ताकि उसे खिलाड़ियों की प्रतिभा और विशेषज्ञता निखारने में नॉर्विच का साथ मिल सके. इससे लोकल कैचमेट एरिया में स्थानीय फुटबॉल को मदद मिल सकेगी. वैश्विक मार्केटिंग कंपनी एमकेटीजी स्पोर्ट्स +एंटरटेनमेंट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, अमर सिंह इस बात को स्वीकारते हैं कि भारत में फुटबॉल बढ़ रहा है, लेकिन आईएसएल को मैदान के अंदर और बाहर, दोनों जगह मैच्योरिटी हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है. विदेशी क्लबों के साथ साझेदारी क्या रंग लाती है, इसे सामने आने में 10 या 20 वर्ष भी लग सकते हैं.

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