FIH अध्यक्ष तैयब इकराम बोले- विश्व कप हॉकी में देशों की संख्या बढ़ाने की फिलहाल नहीं है कोई योजना
तैयब इकराम ने बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम पर कहा कि मैं ओलिंपिक समिति का हिस्सा रहा हूं और दुनिया भर में कई जगहों का दौरा कर चुका हूं. इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने ऐसा बुनियादी ढांचा कहीं नहीं देखा.
राउरकेला, मुकेश कुमार सिन्हा: अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष तैयब इकराम ने कहा है कि विश्व कप में देशों की संख्या बढ़ाने के लिए फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है और निकट भविष्य में भी नहीं है. तैयब ने कहा कि हमारे पास विश्व कप के लिए अलग-अलग महाद्वीपीय क्वालिफायर हैं. हम दुनिया के हर कोने तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि हमारे पास एफआइएच के रूप में 140 देश हैं और उन तक पहुंचना हमारी जिम्मेदारी है. फिलहाल हम उस दिशा में नहीं सोच रहे हैं. हमारा मानना है कि कोई भी किसी देश को 7-0 या 10-0 के अंतर से हारते हुए नहीं देखना चाहेगा. यह टीमों के लिए भी मनोबल गिराने वाला होगा. रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने भविष्य की योजनाओं व मौजूदा स्थिति पर बातचीत की. उन्होंने बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम में बने ओलीलैंड में भी कुछ देर समय व्यतीत किया.
बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम का ढांचा शानदार
तैयब इकराम ने बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम पर कहा कि मैं ओलिंपिक समिति का हिस्सा रहा हूं और दुनिया भर में कई जगहों का दौरा कर चुका हूं. इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने ऐसा बुनियादी ढांचा कहीं नहीं देखा. यह बहुत शानदार है. जहां तक बैठने की क्षमता का संबंध है, मैं सभी संदेहों को दूर कर देना चाहता हूं कि यह दुनिया में सबसे बड़ा है. मेजबानों ने सीटें बीस हजार से बढ़ाकर बीस हजार अठारह सौ कर दी है. मैं यहां स्टेडियम के अंदर और बाहर के उत्सव से भी प्रभावित हूं. यह सभी के लिए अब तक की सबसे अच्छी सुविधा है. हर जगह खेल की भूख है. आपको ऐसी सुविधाएं हर जगह नहीं मिलेंगी, एक्सेसिबिलिटी वाले हिस्से को देखें, यह बहुत ही शानदार है. यहां तक कि विश्व कप गांव भी किसी भी मानक की शानदार सुविधाओं के साथ बेहतरीन है.
पेनल्टी कॉर्नर के भविष्य पर जल्द होगा निर्णय
तैयब इकराम ने कहा कि पेनल्टी कॉर्नर पर अध्ययन किया जा रहा है. हम इस पर काम कर रहे हैं. जब गेंद को ड्रैग फ्लिक के माध्यम से शूट किया जा रहा हो तो हम गेंद की गति और ऊंचाई को कम नहीं कर सकते. लेकिन, साथ ही हम एथलीट की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं. कुछ प्रयोग चल रहे हैं और जल्द ही हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं.
टर्फ पर पानी के उपयोग पर हो रहा विचार
वैश्विक आयोजन में जल संरक्षण की अपनी प्रतिबद्धता के तहत हम काम कर रहे हैं. यह योजना रियो ओलिंपिक के दौरान बनायी गयी थी और कुछ निर्णय लिये गये थे. इस समय हमने ब्रेक के दौरान पिचों पर पानी की खपत को घटाकर 40 फीसद कर दिया है. हम इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. हम इसके प्रति बेहद संजीदा है.
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क्या हैं टॉप-थ्री चुनौतियां
हमारे पास एफआइएच के साथ 140 देश पंजीकृत हैं और हमारी बड़ी जिम्मेदारी है उन तक पहुंचना और वहां खेल को और लोकप्रिय बनाना. दूसरी बड़ी चुनौती इवेंट पोर्टफोलियो की मांगों को पूरा करना है. हमारे पास कार्यक्रमों की बहुत मांग है और हम उनकी समीक्षा करने जा रहे हैं. हॉकी इंडिया लीग का पुनरुद्धार एक और चुनौती है. हम पहले से ही इस पर चर्चा कर रहे हैं. उन्हें हमें एक औपचारिक प्रस्ताव भेजना होगा, फिर चीजें आगे बढ़ेंगी. भारत में चीजें अधिक पेशेवर तरीके से प्रबंधित की जा रही हैं, इसलिए हम आशान्वित हैं. पाकिस्तान को भी भारत के हॉकी से सीखने की जरूरत है और भारतीय मॉडल को अपनाने पर विचार करना चाहिए.