13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्रिकेट टीम में बड़े बदलाव की जरूरत

जब मुकाबला कड़ा हो, तो खिलाड़ियों का चयन बहुत अहम हो जाता है. पर भारतीय चयनकर्ता हमेशा से प्रदर्शन के बजाय नामों की चमक-दमक पर ज्यादा ध्यान देते आये हैं. राहुल द्रविड़ की अगुआई में भारतीय टीम प्रयोगों की कहानी बन कर रह गयी है. पता ही नहीं चलता कि कौन खिलाड़ी कब खेलेगा और क्यों खेलेगा.

यह देश क्रिकेट का दीवाना है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया से मिली शर्मनाक हार से क्रिकेट प्रेमी निराश हैं. टेस्ट विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आपको सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है, लेकिन भारतीय खिलाड़ी एकदम फीके नजर आये. यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में भारत को 209 रनों के भारी अंतर से हरा दिया. भारतीय टीम बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण तीनों में ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले कहीं नहीं थी. भारतीय बल्लेबाजी के हम इतने कसीदे पढ़ते हैं कि हमारे पास ऐसे स्टार खिलाड़ी हैं, वैसे खिलाड़ी हैं, लेकिन वे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के आगे एकदम तेजहीन नजर आये. इनमें से कई आइपीएल में शतकवीर बने हुए थे, लेकिन, तेज पिच और विश्वस्तरीय गेंदबाजों के आगे वे निरीह नजर आये. भारत के सामने जीत के लिए 444 रनों का लक्ष्य था, लेकिन पूरी टीम केवल 234 रनों पर सिमट गयी. हालांकि, यह भारतीय टीम की पुरानी बीमारी है कि पहले तीन-चार खिलाड़ी जल्दी आउट हुए नहीं कि पूरी टीम को धराशायी होने में देर नहीं लगती.

वैसे लंबे अरसे से कहा जा रहा है कि राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में टीम को तैयार करने में काफी मशक्कत चल रही है, लेकिन जब टीम की घोषणा हुई, तो पता चला कि खिलाड़ियों के प्रदर्शन के बजाय उनके नाम को ज्यादा तरजीह दी गयी है. कई खिलाड़ियों का प्रदर्शन स्तरीय नहीं रहा था. फिर भी उनको मौका दिया गया. आइपीएल में खुद कप्तान रोहित शर्मा फॉर्म में नहीं थे. वह किसी भी मैच में बड़ा स्कोर नहीं खड़ा कर पाये और वही भारतीय टीम के प्रारंभिक बल्लेबाज थे. उनकी फिटनेस को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं, लेकिन वह टीम में डटे हुए हैं. जब मुकाबला कड़ा हो, तो खिलाड़ियों का चयन बहुत अहम हो जाता है. लेकिन भारतीय चयनकर्ता हमेशा से ही प्रदर्शन के बजाय नामों की चमक-दमक पर ज्यादा ध्यान देते आये हैं. राहुल द्रविड़ की अगुआई में भारतीय टीम प्रयोगों की कहानी बन कर रह गयी है. पता ही नहीं चलता कि कौन खिलाड़ी कब खेलेगा और क्यों खेलेगा. यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है कि भारतीय टीम की हार में चयनकर्ताओं की गलतियों का भी योगदान है. इस बात पर भी चिंतन करने की जरूरत है कि वर्ष 2011 के बाद हम कोई बड़ी क्रिकेट प्रतियोगिता क्यों नहीं जीत पाये हैं.

इस फाइनल में अजिंक्य रहाणे को छोड़ किसी भारतीय बल्लेबाज के बल्ले से बड़ा स्कोर नहीं निकला. कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीत कर पहले गेंदबाजी का फैसला किया. ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही. उसके तीन बल्लेबाज 76 रनों तक पवेलियन लौट चुके थे, लेकिन ट्रेविस हेड और स्टीव स्मिथ ने टीम को मुश्किल से निकाल लिया. इस दौरान भारतीय गेंदबाजी दिशाहीन नजर आयी. ऑस्ट्रेलियाई टीम पहली पारी में 469 रन बनाने में सफल रही. बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम महज 296 रनों पर सिमट गयी. पहली पारी में भारत की ओर से केवल अजिंक्य रहाणे और शार्दुल ठाकुर ने 50 रनों का आंकड़ा पार किया, लेकिन बाकी स्टार बल्लेबाज, चाहे वह रोहित शर्मा हों, विराट कोहली हों या शुभमन गिल, बहुत कम रन बना कर पवेलियन लौट गये. स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को टीम में शामिल नहीं करने पर भी सवाल उठ रहे हैं. लगभग सभी पूर्व खिलाड़ियों का मानना था कि उमेश यादव की जगह अश्विन बेहतर विकल्प साबित हो सकते थे.

जाने-माने पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने बहुत सही बात कही कि आप भारत की खराब पिच पर जीत कर झूठा आत्मविश्वास नहीं दिखा सकते हैं. भारत में गेंद पहले दिन से ही स्पिन करना शुरु कर देती है. हरभजन सिंह ने कहा कि भारत में होने वाले टेस्ट मैच में तेज गेंदबाजों को कोई भूमिका ही नहीं होती है. आप स्पिन गेंदबाजों के दम पर सभी मैच जीत लेते हैं. ऐसे में आप अचानक फाइनल मैच में तेज गेंदबाजों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कैसे कर सकते हैं. मैच के बाद कप्तान रोहित शर्मा ने कहा कि वे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में तीन टेस्ट मैच की सीरीज खेलना चाहेंगे. ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार से काफी निराश पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर इस सुझाव से असहमत थे. उन्होंने कहा कि यह निर्णय काफी पहले हो चुका था कि फाइनल में आपको घरेलू मैदान के बाहर एक मैच खेलना है. आपको उसी के अनुसार खुद को मानसिक रूप से तैयार रखना चाहिए था. चैंपियनशिप की पहली गेंद से आपको पता था कि क्या होने वाला है. कल आप कहेंगे कि पांच टेस्ट मैच खेलना चाहते हैं, इसका तो कोई अंत नहीं है. रोहित शर्मा ने मैच के बाद एक और दलील दी कि भारतीय खिलाड़ियों को इंग्लैंड में खेले गये इस मैच की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला था.

भारतीय कोच राहुल द्रविड़ ने भी फाइनल से पहले व्यस्त शेड्यूल का हवाला दिया और कहा कि एक कोच के रूप में वह तैयारियों से बिल्कुल भी खुश नहीं थे. इस पर जाने-माने पूर्व खिलाड़ी रवि शास्त्री ने कहा कि ऐसा कभी नहीं होने वाला है कि आपको किसी मैच या सीरीज की तैयारी के लिए 20-21 दिन मिलेंगे. हमें यथार्थ में जीना होगा. ऐसा तभी संभव है, जब आप आइपीएल छोड़ने को तैयार होंगे. वैसे, यह उपयुक्त मौका है, जब कुछ युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जाए, जो आगे अनुभवी खिलाड़ियों की जगह भी ले सकें. भारतीय टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं से कठिन निर्णय लेने की जरूरत है. चयनकर्ताओं को भविष्य को ध्यान में रखते हुए योजना बनानी चाहिए. ऑस्ट्रेलिया ऐसा कई वर्षों से करता आ रहा है. वे भविष्य की टीम पर लगातार काम करते हैं. वे इसका इंतजार नहीं करते हैं कि कोई खिलाड़ी संन्यास ले या उसकी फॉर्म खराब हो और उनके पास कोई विकल्प ही न हो.

उनकी टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का मिश्रण होता है. यही वजह है कि उनकी टीम इतनी मजबूत है. ऐसी ही योजना हमें भी बनानी होगी. क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हमारी दिक्कत यह है कि हम उन्हें मौका ही नहीं देते हैं. सूर्यकुमार यादव इसका जीता जागता उदाहरण है. उन्हें सीमित ओवरों के मैचों में बहुत बाद में मौका दिया गया. भारत को अब वेस्टइंडीज के साथ सीरीज खेलनी है. पिछले कुछ समय से वेस्टइंडीज की टीम बेहद कमजोर है. ऑस्ट्रेलिया के सामने दीन-हीन नजर आने वाले हमारे बल्लेबाज अचानक शतकवीर बन जायेंगे. एक से बढ़ कर एक रिकॉर्ड बनायेंगे, लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड अथवा दक्षिण अफ्रीका से मुकाबला उनकी पिच पर होगा, तो उनका स्टारडम हवा हो जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें