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International Chess Day: शतरंज की दुनिया के भारतीय बादशाह, इन खिलाड़ियों ने बढ़ाया है देश का मान

ज्यादातर खेल ऐसे होते हैं, जिसे खेलने के लिए हाथ-पैर चलाने की जरूरत होती है. वहीं, शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें हाथ-पैर से ज्यादा दिमाग चलाने की जरूरत होती है. छोटी उम्र में ही भारत के कई शतरंज खिलाड़ियों ने अपने खेल से दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है. जानें शतरंज से जुड़ी रोचक बातें.

By Prabhat Khabar News Desk | July 19, 2023 2:19 PM

विवेकानंद सिंह

हर वर्ष 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि शतरंज के खेल की शुरुआत भारत में ही हुई और यहीं से निकलकर शतरंज दुनिया के अन्य देशों तक पहुंचा. वर्ष 1988 में विश्वनाथन आनंद के शतरंज का ग्रैंडमास्टर बनने और अपार सफलता पाने के बाद एक बार फिर से अपने देश में शतरंज को लोकप्रियता मिली. आज अपने देश के 80 से ज्यादा शतरंज खिलाड़ियों को ग्रैंडमास्टर की उपाधि मिली हुई है.

प्राचीनकाल में कहा जाता था चतुरंग

प्राचीनकाल में शतरंज को चौसर व चतुरंग जैसे नाम से जाना जाता था. चतुर व चालाक लोगों का खेल होने की वजह से इसे चतुरंग कहा जाता था. वहीं, इसके चेसबोर्ड पर कुल 64 खाना या वर्ग होने की वजह से इसे चौसर भी कहा जाता था.

दो खिलाड़ियों की होती है जरूरत

शतरंज को चेसबोर्ड (बिसात) के ऊपर दो खिलाड़ियों द्वारा खेला जाता है. दोनों खिलाड़ियों के पास एक-एक राजा, एक-एक मंत्री, दो-दो ऊंट, दो-दो घोड़े, दो-दो हाथी और आठ-आठ सैनिक होते हैं. खेल का परिणाम राजा को मात देने से निकलता है, इसलिए इस खेल में काफी एकाग्रता चाहिए होती है.

क्या है ग्रैंडमास्टर का खिताब

शतरंज के किसी भी खिलाड़ी को ग्रैंडमास्टर का खिताब शतरंज की सर्वोच्च संस्था विश्व शतरंज महासंघ (फिडे) द्वारा ही दिया जाता है. यह शतरंज की दुनिया में दिया जाने वाला सर्वोच्च खिताब है. किसी शतरंज खिलाड़ी को ग्रैंडमास्टर बनने के लिए कम-से-कम 2500 एलो रेटिंग प्राप्त करनी पड़ती है.

इन खिलाड़ियों ने बढ़ाया है देश का मान

  • विश्वनाथन आनंद : आनंद को अब तक का सबसे सफल भारतीय शतरंज खिलाड़ी माना जाता है. उन्होंने वर्ष 2000, 2007, 2008, 2010 और वर्ष 2012 में विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती. वहीं, वर्ष 2003 और 2017 में उन्होंने वर्ल्ड रैपिड शतरंज चैंपियनशिप तथा वर्ष 2000 और 2017 में वर्ल्ड ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप भी जीती. आनंद अपने देश के पहले ग्रैंडमास्टर हैं.

  • हरिका द्रोणावल्ली : अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित द्रोणावल्ली दूसरी प्रमुख भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी हैं. हरिका ने वर्ष 2012, 2015 और 2017 में महिला विश्व शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. वर्ष 2016 में उन्होंने फिडे महिला ग्रैंड प्रिक्स इवेंट भी जीता. वर्ष 2019 में उन्हें खेल के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था.

  • आर प्रागनानंदा : प्रागननंदा का जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ था. वह विश्व शतरंज में सबसे होनहार प्रतिभाओं में से एक हैं. उन्होंने वर्ष 2019 में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीती. वर्ष 2021 में एशियाई शतरंज चैंपियनशिप (ओपन) भी जीती. प्रागनानंदा के पास 12 वर्ष, 10 महीने की उम्र में पांचवें सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड दर्ज है.

  • कोनेरू हंपी : उच्चतम श्रेणी की भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हंपी ने वर्ष 2019 में महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीती. उन्होंने वर्ष 2019-2020 में महिला ग्रैंड प्रिक्स सीरीज भी जीती. भारत में शतरंज के लिए जितना महत्वपूर्ण नाम विश्वनाथन आनंद का है. उतना ही महत्वपूर्ण कोनेरू हंपी का भी नाम है. इनकी उपलब्धियां हमेशा ही इनकी उम्र से बड़ी रही हैं. हंपी का जन्म 31 मार्च, 1987 को आंध्र प्रदेश के गुडिवाड़ा में हुआ था.

  • डी गुकेश : गुकेश ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाले शतरंज के खिलाड़ियों के इतिहास में दूसरे सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं और भारत के अब तक के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर हैं. 29 मई, 2006 को जन्मे गुकेश ने वर्ष 2015 में एशियन स्कूल शतरंज चैंपियनशिप जीती. गुकेश मौजूदा विश्व चैंपियन कार्लसन को हराने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने. गुकेश 12 वर्ष, 7 महीने और 17 दिनों की उम्र में 15 जनवरी, 2019 को इतिहास में दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने थे.

अन्य रोचक बातें

  • अंतरराष्ट्रीय शतरंज में भारत की दूसरी रैंक है, जो शतरंज में देश की मजबूत उपस्थिति को दर्शाता है.

  • विश्व शतरंज महासंघ की स्थापना को चिन्हित करने के लिए हर वर्ष 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाया जाता है.

  • इस दिन को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाने का विचार सबसे पहले यूनेस्को द्वारा प्रस्तावित किया गया था.

  • पहला आधुनिक शतरंज टूर्नामेंट 1851 में लंदन में आयोजित किया गया था और इसे जर्मनी के एडॉल्फ एंडरसन ने जीता था.

  • अब शतरंज खेल में कंप्यूटर और एआइ का प्रयोग भी होने लगा है. कई मौकों पर कंप्यूटर शतरंज प्रोग्रामों ने मानव खिलाड़ियों को भी हरा दिया है.

  • विशेषज्ञों के अनुसार, शतरंज खेलने से मस्तिष्क क्षमता विकसित होती है.

  • इसे खेलने में रणनीतिक सोच, समस्या समाधान, योजना बनाने और विचार प्रक्रिया की विकास की आवश्यकता होती है.

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