International Olympic Day 2023: आज अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक दिवस है. ओलिंपिक गेम्स को खेलों का महाकुंभ कहा जाता है. इसका आयोजन चार साल में एक बार होता है. इसमें 200 से अधिक देशों के हजारों एथलीट खेलों में हिस्सा लेते हैं. देश ही नहीं दुनिया का हर खिलाड़ी का पहला और आखिरी सपना यही होता है कि ओलिंपिक में उसकी भागीदारी हो और वह देश के लिए स्वर्ण पदक जीते. अगला ओलिंपिक 2024 में पेरिस में होनेवाला है. इसकी तैयारी पूरी दुनिया में शुरू हो चुकी है. खिलाड़ी ओलिंपिक में क्वालिफाइ के लिए भी दमखम लगा रहे हैं. इस दौड़ में झारखंड के भी कुछ खिलाड़ी शामिल हैं. यहां से तीरंदाजी, एथलेटिक्स और हॉकी में ओलिंपिक में शामिल होने की संभावना है.
2024 में पेरिस में ओलिंपिक का आयोजन होगा़ इसमें झारखंड से भी कुछ खिलाड़ियों के जाने की संभावना है. तीरंदाजी की बात करें तो इसमें तीन-चार खिलाड़ी शामिल हैं जो ओलिंपिक के लिए दावेदारी पेश करेंगे. इसमें दीपिका कुमारी, कोमोलिका बारी, मृणाल चौहान और अंकिता भगत शामिल हैं. इसके बाद हॉकी में संगीता कुमारी और ब्यूटी डुंगडुंग के भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होने की संभावना है. एथलेटिक्स में भी झारखंड की दो महिला खिलाड़ी हैं, जो ओलिंपिक में अपनी दावेदारी पेश कर सकती हैं. इसमें फ्लोरेंस बारला और आशा किरण बारला शामिल हैं.
हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान 2024 ओलिंपिक गेम्स की तैयारियों में जुट गयी हैं. वर्तमान में एशियन गेम्स के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर 2015 में शुरू हुआ था. अगले वर्ष 2016 में ही रियो ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होने का मौका मिला. वर्ष 2020 में टोक्यो ओलिंपिक में प्रदर्शन किया. वह कहती हैं- 2024 ओलिंपिक के लिए तैयारियां चल रही हैं. एशियन गेम्स में मेडल लाने के बाद 2024 में खेलने का अवसर मिल सकता है. दो सप्ताह से बेंगलुरु में अभ्यास चल रहा है. अगले महीने स्पेन जाने की तैयारी है. ओलिंपिक तक पहुंचना कठिन है. यदि तीसरा ओलिंपिक खेलने का अवसर मिलता है, तो पहले का अनुभव काफी काम आयेगा.
झारखंड के खिलाड़ियों में संभावनाएं हैं. हॉकी और तीरंदाजी में पहले भी झारखंड के खिलाड़ियों ने ओलिंपिक में अपनी जगह बनायी है. इसके अलावा एथलेटिक्स में भी संभावना नजर आ रही है, लेकिन अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. विश्वास है कि आनेवाले समय में झारखंड से और भी खिलाड़ी ओलिंपिक में नजर आयेंगे.
-डॉ मधुकांत पाठक, महासचिव, जेओए
जयपाल सिंह मुंडा ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम के पहले कप्तान थे, जिन्होंने 1928 ओलिंपिक में देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था. हालांकि भारत ने पहली बार वर्ष 1900 में ओलिंपिक में हिस्सा लिया था. अभी तक भारतीय हॉकी टीम भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीत चुकी है. भारतीय हॉकी टीम ने वर्ष 1928 से 1956 तक ओलिंपिक में लगातार छह गोल्ड मेडल जीते.
जयपाल सिंह मुंडा, हॉकी 1928 एम्सटर्डम
माइकल किंडो, हॉकी 1972 म्यूनिख
सिल्वानुस डुंगडुंग, हॉकी 1980 मास्को
हरभजन सिंह, बास्केटबॉल 1980 मॉस्को
मनोहर टोपनो, हॉकी 1984 लॉस एंजिलिस
रीना कुमारी, तीरंदाजी 2004 एथेंस
दीपिका कुमारी, तीरंदाजी 2012 लंदन
निक्की प्रधान, हॉकी 2016 रियो
निक्की प्रधान, हॉकी 2020 टोक्यो
सलीमा टेटे, हॉकी 2020 टोक्यो
एथलेटिक्स में बेहतर तैयारी के लिए साई से जुड़ा हूं और 2017 से एथलेटिक्स के इवेंट में शामिल हो रहा हूं. खेलो इंडिया में रजत पदक और यूनिवर्सिटी गेम्स में कांस्य पदक हासिल किया है. अब लक्ष्य 2024 ओलिंपिक का है.
-विशाल बहादुर, एथलीट
स्टेट में रजत पदक जीतकर एथलेटिक्स में पदक जीतने की शुरुआत हो चुकी है. वहीं जूनियर फेडरेशन कप के ट्रिपल जंप में छठा स्थान था. मैं 2028 के ओलिंपिक की तैयारी में जुटा हुआ हूं.
-मो शफी आलम, एथलीट
400 मीटर की दौड़ के अभ्यास में जुटा हुआ हूं. अब तक जूनियर नेशनल में रजत पदक जीत चुका हूं. हर दिन बेस्ट करने की कोशिश रहती है, ताकि ओलिंपिक तक पहुंच सकूं.
-साकेत मिंज, एथलीट
स्कूल के समय से एथलीट रही हूं और अब साई से जुड़कर खुद को निखारने में लगी हुई हूं. नेशनल में चार गुणा 100 मीटर में स्वर्ण पदक जीता है. अब आगे ओलिंपिक की तैयारी है.
-विशाखा सिंह, एथलीट
रांची. झारखंड सरकार और सीसीएल के बीच खेल को बढ़ावा देने के लिए 2015 में एक एमओयू किया गया था. इसके बाद झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी यानी जेएसएसपीएस की शुरुआत हुई. एकेडमी में झारखंड के कई जिलों से खिलाड़ियों का चयन किया गया. लक्ष्य था : ओलिंपिक गोल्ड मेडल. इसके लिए जेएसएसपीएस ने 10 खेल एकेडमी की भी शुरुआत की, जिसमें 400 से अधिक खिलाड़ी शामिल हैं. हालांकि आज तक बड़ी सफलता नहीं मिली है. आठ वर्षो में सिर्फ कुश्ती की एक खिलाड़ी ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल हो पायी है. दूसरा कोई खिलाड़ी अभी तक सामने नहीं आया है.
जेएसएसपीएस में संचालित कुश्ती एकेडमी की एक कैडेट चंचला कुमारी ने जूनियर विश्व कुश्ती प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाइ किया था. हालांकि कोई पदक नहीं जीत पायी थीं. राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण और रजत पदक जीत चुकी हैं. इसके अलावा अभी तक कोई दूसरा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सामने नहीं आया है. वहीं एकेडमी में बॉक्सिंग को छोड़कर कोई भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का कोच नहीं है.
वर्तमान में खेल अकादमी में एथलेटिक्स, तीरंदाजी, फुटबॉल, ताइक्वांडो, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, तैराकी, निशानेबाजी, कुश्ती और मुक्केबाजी में 443 स्पोर्ट्स कैडेट्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है. इनके रहने-खाने, स्कूलिंग, कोचिंग आदि का पूरा खर्च खेल एकेडमी वहन करती है. चयनित बच्चों को प्रतिमाह 500 रुपये स्टाइपेंड भी दिया जाता है.
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