विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप लंदन में खेला जा रहा है. जहां भारतीय टीम ने अब तक संतोषप्रद प्रदर्शन दिखाया है. एक गोल्ड और एक रजत पदक के साथ पदक तालिका में भले ही भारत नीचे है, लेकिन खिलाडियों का जज्बा कम नहीं हुआ है.
इस तरह के खेल ने दिव्यांग खिलाडियों को नयी पहचान दिलायी है. वैसे दिव्यांग लोग जो अपने जीवन से निराश हो चुके हैं. उन्हें रोजाना लोगों से ताना सुनने पड़ते हैं. रोजमर्रा की जरूरतों के चलते उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. वैसे में इस तरह के आयोजन से न केवल दिव्यांगों को मजबूती मिलती है, बल्कि उनका आत्म सम्मान भी बढ़ता है.
लंदन में चल रहे विश्व पैरा एथलेटिक्स में इस बार पहला गोल्ड पदक दिलाने वाले भाला फेंक खिलाड़ी सुंदर सिंह गुर्जर ने भी एक साक्षात्कार में कहा था कि इस प्रकार के आयोजन से उनका आत्म सम्मान काफी बढ़ा है.