VIDEO भारत और ओलंपिक : एक पुराना रिश्ता

लंदन : भारत और ओलंपिक का पुराना रिश्‍ता रहा है. तेल अवीव पारा ओलंपिक में शामिल होने वाले पहले भारतीय हैं. 1968 में उन्‍होंने पहली बार ओलंपिक में भाग लिया था. चार साल पहले मुरलीकांत पेटकर ने भारत की ओर से पहली बार स्वर्ण पदक जीता था. देखा जाए तो भारत का पारालंपिक इतिहास पांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2017 11:38 AM

लंदन : भारत और ओलंपिक का पुराना रिश्‍ता रहा है. तेल अवीव पारा ओलंपिक में शामिल होने वाले पहले भारतीय हैं. 1968 में उन्‍होंने पहली बार ओलंपिक में भाग लिया था. चार साल पहले मुरलीकांत पेटकर ने भारत की ओर से पहली बार स्वर्ण पदक जीता था. देखा जाए तो भारत का पारालंपिक इतिहास पांच दशक पुराना है.

भारत का पारालंपिक में सबसे स्‍वर्णिम काल 2016 का रियो आलंपिक रहा. जहां भारत के खिलाडियों ने अपना शानदार प्रदर्शन दिखाया और चार पदक पर कब्‍जा जमाया. लंदन में चल रहे विश्व पैरा एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप में भी भारत ने अब तक 2 पदक जीत लिया है. भाला फेंक खिलाड़ी सुंदर सिंह गुर्जर ने भारत के लिए पहला स्‍वर्ण पदक जीता. उसके बाद अमित कुमार सरोहा ने पुरुष वर्ग के क्‍लब थ्रो एफ- 51 स्‍पर्धा में रजत पदक जीता.

ये तो बात हो गयी पारालंपिक इतिहास की. लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी दिव्‍यांग खिलाडियों को जो सम्‍मान मिलना चाहिए वो आज उन्‍हें मिल पा रहा है. ये बड़ा सवाल है कि क्‍या खेल जगत की चकाचौंध में दिव्यांग खिलाड़ी अपनी रौशनी बिखेर पाएंगे. हालांकि अब इस दिशा में काफी बदलाव आ चुका है. रियो ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाडियों को राष्‍ट्रपति की ओर सम्‍मानित किया गया था. कई खिलाडियों ने यह माना है कि उन्‍हें भी अब मुख्‍य धारा से जुड़ने का मौका मिल रहा है. उनके जीवन में काफी बदलाव आया है. उन्‍हें अब समाज में काफी सम्मानिय दृष्टि से भी देखा जा रहा है.

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