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सरकार ने द्रोणाचार्य पुरस्कार सूची में से एक नाम हटाया, अर्जुन पुरस्कारों में कोई बदलाव नहीं

नयी दिल्ली : खेल मंत्रालय ने पैरा खेलों के कोच सत्यनारायण का नाम इस साल द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटा दिया है चूंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है जबकि अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न पुरस्कार की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसके मायने है कि टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और […]

नयी दिल्ली : खेल मंत्रालय ने पैरा खेलों के कोच सत्यनारायण का नाम इस साल द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटा दिया है चूंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है जबकि अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न पुरस्कार की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

इसके मायने है कि टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और भारोत्तोलक संजीता चानू को अर्जुन पुरस्कार नहीं मिल सकेगा. खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, हमने सत्यनारायण का नाम सूची से हटा दिया है क्योंकि उसके खिलाफ एक मामला लंबित है.

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उन्होंने कहा, उन्हें खुद को बेकसूर साबित करना होगा जिसके बाद ही उनके नाम पर गौर किया जायेगा. सत्यनारायण रियो पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियाप्पन थंगावेलू के कोच रह चुके हैं. समझा जाता है कि द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिये उनका नाम दिये जाने की लोगों ने आलोचना की थी.
सत्यनारायण ने 13 अगस्त को मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि कुछ ईष्यालु लोगों ने उनके खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है और उन्हें खुद को पाक साफ साबित करने का मौका दिया जाना चाहिये. मरियाप्पन ने भी मंत्रालय को पत्र लिखकर सत्यनारायण के नाम की सिफारिश की थी. क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया की अश्विनी नाचप्पा ने छह अगस्त को लिखे पत्र में उनके नाम का विरोध किया था. खेलमंत्री विजय गोयल से मंजूरी मिलने के बाद पुरस्कार विजेताओं को ईमेल भेज दिये गए हैं.
चयन समिति ने अर्जुन पुरस्कार के लिये दो पैरा एथलीट समेत 17 खिलाडियों के नाम की अनुशंसा की थी जबकि खेलरत्न हाकी खिलाड़ी सरदार सिंह और पैरा एथलीट देवेंद्र झझारिया को दिया जायेगा. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खेलरत्न के लिये पैरा एथलीट दीपा मलिक का नाम शामिल करने का अनुरोध किया था लेकिन मंत्रालय ने सूची में कोई बदलाव नहीं किया. इस पर भी बहस हुई कि रोहन बोपन्ना को सूची में शामिल किया जा सकता है या नहीं जिनका नाम एआईटीए ने देर से भेजा था. बोपन्ना की उपलब्धियां साकेत माइनेनी से अधिक है जिसके नाम की अनुशंसा अर्जुन पुरस्कार के लिये की गई.
बोपन्ना ग्रैंडस्लैम जीतने वाले देश के चौथे टेनिस खिलाड़ी है जिन्होंने कनाडा की गैब्रिएला डाब्रोवस्की के साथ फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल जीता. वह रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे. कइयों का मानना है कि जब चौथे स्थान पर रहने पर जिम्नास्ट दीपा करमाकर को खेलरत्न दिया जा सकता है तो बोपन्ना को क्यों नहीं. कइयों का हालांकि यह भी कहना है कि टेनिस मिश्रित युगल की उपलब्धि की तुलना जिम्नास्टिक में दीपा के एकल प्रदर्शन से नहीं की जा सकती. दीपा के प्रदर्शन से भारत में जिम्नास्टिक का परिदृश्य ही बदल गया है.
कुछ का कहना है कि इंचियोन एशियाई खेलों में भाग नहीं लेने का बोपन्ना को खामियाजा भुगतना पडा चूंकि एटीपी वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट को तरजीह देने का उनका फैसला मंत्रालय को रास नहीं आया. एआईटीए ने इसलिये उनका नामांकन नहीं भेजा क्योंकि उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कोई पदक नहीं जीता. वैसे बोपन्ना खुद भी कसूरवार है क्योंकि उनके पास मंत्रालय को सीधे आवेदन भेजने का विकल्प था.
फ्रेंच ओपन जीतने के बाद ही वह हरकत में आये और खेलमंत्री से मिले भी थे. भारतीय भारोत्तोलन महासंघ ने चानू का नाम शामिल करने की गुजारिश की थी जिसने 2014 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल और राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में स्वर्ण और एशियाईचैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था जिससे उसके 45 अंक होते हैं.
चयन समिति के एक सदस्य ने हालांकि कहा, अंक ही मानदंड नहीं थे. यदि ऐसा होता तो एसएसपी चौरसिया, चेतेश्वर पुजारा या हरमनप्रीत कौर को कभी पुरस्कार नहीं मिलता. संजीता ने राष्ट्रमंडल खेलों के बाद कुछ नहीं किया. वह विश्व चैम्पियनशिप में भी क्वालीफाई नहीं कर सकी.

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