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#BirthdaySpecial : जब ब्रैडमैन ने कहा था, ”रनों की तरह गोल बनाते हैं ध्यानचंद”

नयी दिल्ली : हाकी के जादूगर ध्यानचंद को जब क्रिकेट की किवदंती डान ब्रैडमैन ने पहली और आखिरी बार खेलते हुए देखा था तो उनके मुंह से बरबस ही निकल पड़ा था कि वह ‘रनों की तरह गोल बनाते हैं.’ ध्यानचंद, जिनकी आज जयंती है, पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ […]

नयी दिल्ली : हाकी के जादूगर ध्यानचंद को जब क्रिकेट की किवदंती डान ब्रैडमैन ने पहली और आखिरी बार खेलते हुए देखा था तो उनके मुंह से बरबस ही निकल पड़ा था कि वह ‘रनों की तरह गोल बनाते हैं.’ ध्यानचंद, जिनकी आज जयंती है, पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था और बल्लेबाजी के बादशाह ब्रैडमैन भी इससे अछूते नहीं रहे.

आलम यह था कि स्वयं ब्रैडमैन हॉकी के जादूगर से न सिर्फ मिलना चाहते थे बल्कि उनको खेलते हुए भी देखना चाहते थे. भारतीय टीम 1936 के ओलंपिक खेलों से पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर गयी थी और तब उसे दो मई 1935 को एडिलेड में एक मैच खेलना था. एडिलेड ब्रैडमैन का घरेलू शहर है और इसलिए भारतीय टीम के तत्कालीन मैनेजर पंकज गुप्ता ने लार्ड मेयर के सहयोग से अपने-अपने खेलों के इन दोनों दिग्गजों की मुलाकात तय करवा दी.

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भारतीय हॉकी वेबसाइट के अनुसार, ‘‘ब्रैडमैन सिटी हाल में आकर भारतीय टीम से मिले और उन्होंने ध्यानचंद के साथ फोटो खिंचवाई.’’ भारत ने शाम को क्रिकेट मैदान पर हॉकी खेली और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की टीम को 10-0 से करारी शिकस्त दी. ब्रैडमैन ने इससे पहले कभी हॉकी नहीं देखी थी और ध्यानचंद का खेल देखकर तो वह हैरान रह गये. मैच के बाद जब वह हाकी के जादूगर से मिले तो उन्होंने कहा, ‘‘क्रिकेट में जिस तरह से रन बनते हैं आप हाकी में उस तरह से गोल करते हो. ’

वेबसाइट के अनुसार, ‘‘ध्यानचंद ने 1936 बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम के कप्तान पद पर नियुक्ति और डान ब्रैडमैन से मुलाकात को अपनी जिंदगी के दो यादगार लम्हें मानते थे. ’’ ब्रैडमैन के अलावा इंग्लैंड के पूर्व कप्तान डगलस जार्डिन, भारतीय कप्तान महाराज कुमार आफ विजयनगरम यानि विज्जी और इफ्तिखार अली खां पटौदी जैसे क्रिकेटर भी ध्यानचंद की हाकी के कायल थे.

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भारतीय हाकी टीम 1936 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर बर्लिन से स्वदेश लौट रही थी तो वह कुछ समय के लिये लंदन में रुकी थी. वहां जार्डिन से उनकी मुलाकात हुई जो तब बाडीलाइन के कारण मशहूर थे. जार्डिन ने अपनी कार रोकी तथा ध्यानचंद और उनके भाई रुप सिंह के साथ फोटो खिंचवाई.

बर्लिन में ध्यानचंद ने हिटलर को भी अपनी हॉकी का कायल बना दिया था. जब वह स्वदेश लौटे तो लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बिठा दिया था. इनमें भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान विज्जी भी शामिल थे जिन्होंने ध्यानचंद के साथ जहाज के डेक पर फोटो खिंचवायी थी. नवाब पटौदी सीनियर के साथ तो ध्यानचंद हाकी खेल चुके थे.

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