राष्ट्रमंडल खेल : नीरज चोपड़ा ने भालाफेंक में भारत को ऐतिहासिक स्वर्ण दिलाया

गोल्ड कोस्ट : नीरज चोपड़ा आज राष्ट्रमंडल खेलों की भालाफेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गये जिन्होंने यहां फाइनल में सत्र का सर्वश्रेष्ठ 86 . 47 मीटर का थ्रो फेंका. जूनियर विश्व चैम्पियन 20 बरस के नीरज ने कल पहले ही थ्रो में क्वालीफाइंग आंकड़े को छूकर फाइनल में जगह बनाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2018 12:51 PM


गोल्ड कोस्ट :
नीरज चोपड़ा आज राष्ट्रमंडल खेलों की भालाफेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गये जिन्होंने यहां फाइनल में सत्र का सर्वश्रेष्ठ 86 . 47 मीटर का थ्रो फेंका. जूनियर विश्व चैम्पियन 20 बरस के नीरज ने कल पहले ही थ्रो में क्वालीफाइंग आंकड़े को छूकर फाइनल में जगह बनाई थी. उसने स्वर्ण जीतने के बाद कहा ,‘ यह मेरे लिए बहुत अहम पदक है. मैं अपना निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था लेकिन एक सेंटीमीटर से चूक गया.

मैंने उसके लिए इतनी कोशिश की कि आखिरी दो प्रयास अच्छे नहीं गये. मुझे बहुत खुशी है कि यह पदक जीता.आगे कई टूर्नामेंट है जिनमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का मौका मिलेगा .’ पिछले महीने पटियाला में फेडरेशन कप राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में 85 . 94 मीटर का थ्रो फेंककर उन्होंने स्वर्ण जीता था.ओलंपिक और विश्व रजत पदक विजेता कीनिया के जूलियस येगो फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके थे. वहीं 2012 ओलंपिक चैम्पियन और रियो खेलों के कांस्य पदक विजेता केशोर्न वालकाट ने इन खेलों में भाग नहीं लिया.

नीरज राष्ट्रमंडल खेलों में भालाफेंक में पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय हो गए. इससे पहले 2010 में दिल्ली खेलों में काशीनाथ नाईक ने कांस्य जीता था. नीरज ने कहा ,‘ यहां प्रतिस्पर्धा अच्छी थी. विश्व चैम्पियन भी खेल रहा था जो क्वालीफाई नहीं कर सका.मुझे अपने प्रदर्शन पर भरोसा था . ‘ राष्ट्रमंडल खेलों की ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में भारत का यह पांचवां स्वर्ण पदक है.इससे पहले फर्राटा धावक मिल्खा सिंह ( 1958 ), चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया ( 2010), महिला चार गुणा चार सौ मीटर रिले टीम ( 2010 ) और शाट पुट खिलाड़ी विकास गौड़ा ( 2014 ) यह कारनामा कर चुके हैं.एशियाई चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता नीरज ने पहला ही थ्रो 85 . 50 मीटर का फेंका था.

यह पूछने पर कि वह जीत का जश्न कैसे मनायेंगे, नीरज ने कहा ,‘‘ जिंदगी में बहुत संजीदा नहीं होना चाहिये.अनुशासित होना अच्छा है लेकिन खान पान को लेकर ज्यादा पाबंदियां नहीं होनी चाहिये.थोड़ा मजा होना भी जरूरी है.बड़ी प्रतिस्पर्धा से पहले खुद को कमरे में बंद कर लेने से कुछ नहीं होता .

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