Jharkhand : चार गोल्ड मेडल जीतनेवाला कार्तिक उरांव कर रहा मजदूरी
गुमला : गुमला की धरती ने कई स्टेट व नेशनल खिलाड़ियों दिये हैं. इन्हीं में गुमला करमटोली निवासी करीब 50 वर्षीय कार्तिक उरांव हैं, जिन्होंने एथलेटिक्स में चार बार गोल्ड मेडल जीत कर न केवल गुमला, बल्कि पूरे राज्य का गौरव बढ़ाया है. पर, सरकार के उदासीन रवैये के कारण कार्तिक मजदूरी कर अपने परिवार […]
गुमला : गुमला की धरती ने कई स्टेट व नेशनल खिलाड़ियों दिये हैं. इन्हीं में गुमला करमटोली निवासी करीब 50 वर्षीय कार्तिक उरांव हैं, जिन्होंने एथलेटिक्स में चार बार गोल्ड मेडल जीत कर न केवल गुमला, बल्कि पूरे राज्य का गौरव बढ़ाया है. पर, सरकार के उदासीन रवैये के कारण कार्तिक मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने को विवश हैं. वह परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम गुमला में दैनिक मानदेय पर मजदूरी करते हैं.
सुबह-शाम स्टेडियम की देखभाल करते हैं. इसके एवज में उन्हें महीने में 2000 रुपये मिलते हैं. चार साल पहले तक महीने में 1000 रुपये मिलते थे. बाद में इसे बढ़ा कर 2000 किया गया. इसी राशि से उनके परिवार का गुजारा चल रहा है, लेकिन इस खिलाड़ी की ओर न तो जिला प्रशासन और न ही सरकार का कोई ध्यान है.
कार्तिक ने कई बार नौकरी के लिए प्रशासन से लेकर सरकार को पत्राचार किया, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला, किसी ने नौकरी दिलाने की पहल नहीं की. इससे थक-हार कर कार्तिक ने सारे सर्टिफिकेट, मेडल व कप जिला खेल विभाग को सौंप दिया है. आज भी कार्तिक के सर्टिफिकेट, मेडल व कप डीएसओ के कार्यालय में इधर-उधर रखे हुए हैं.
1983 से 1986 तक जीते चार गोल्ड मेडल
वर्ष 1983 से लेकर 1986 तक कार्तिक उरांव की एथलेटिक्स में धाक थी. कार्तिक ने आंध्र प्रदेश में हुए नेशनल स्कूल गेम्स, पंजाब में हुए नेशनल रुरल गेम्स व दिल्ली में हुए नेशनल रुरल स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल जीते हैं. जब कार्तिक ने लगातार चार वर्षों में चार गोल्ड मेडल जीता, तो उनका गुमला में भव्य स्वागत हुआ. उस समय गुमला बिहार राज्य में आता था. बिहार राज्य के पटना से लेकर गुमला तक कार्तिक की धूम थी. गोल्ड मेडल के अलावा कार्तिक ने जिला व राज्य स्तर पर भी कई मेडल जीते हैं.
कार्तिक की घर की स्थिति
कार्तिक का घर शहर के करमटोली मुहल्ले में है. फिलहाल वह ज्योति संघ के समीप किराये के मकान में रहते है. पत्नी व दो बेटी दीपा कुमारी व बबली कुमारी हैं. दोनों बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. करमटोली में खपरैल घर है. वह स्टेडियम में गेट खोलने व बंद करने का काम करते हैं. लेकिन कुछ दिन पूर्व स्टेडियम प्रबंधन समिति द्वारा उन्हें काम से निकाल दिया गया है, जिससे वे परेशान हो गये हैं. बच्चों की कैसे परवरिश होगी, इसी चिंता में वह इधर-उधर भटक रहे हैं. ऐसे कार्तिक का कहना है कि कुछ लोगों ने दोबारा काम में रखने की पैरवी स्टेडियम प्रबंधन समिति के अधिकारियों से की है.
घर की हालत खराब होने पर छोड़ी एथलेटिक्स
कार्तिक उरांव से जब उनके बारे में पूछा गया, तो वे भावुक हो गये. उन्हाेंने अपनी पुरानी कहानी बतायी. उन्होंने कहा कि जब तक मैं गोल्ड मेडल जीतता रहा, लोग मेरा स्वागत करते रहे, लेकिन 1987 में घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मैं एथलेटिक्स से दूर हो गया. मैंने नौकरी के लिए आवेदन सौंपा था, लेकिन किसी ने मेरी फरियाद नहीं सुनी. उस समय सरवर इमाम गुमला में डीएसओ (जिला खेल पदाधिकारी) थे.
1997 में जब स्टेडियम के समीप जिम्नाजियम बना, तो यहां मुझे काम दिया गया, तब से यहां 500 रुपये महीने पर मजदूरी करता रहा. लेकिन पांच साल पहले जिम को भी बंद कर दिया गया, क्योंकि जिम का भवन बेकार हो गया है. जिम की जो सामग्री थी, उसे अधिकारी अपने हिसाब से इधर-उधर ले गये.