एशियन गेम 2018: कबड्डी में सभी गोल्ड मेडल पर रहा है भारत का कब्जा

-16 दिन बाकी 18 अगस्त से इंडोनेशिया की राजधानी जाकार्ता में एशियन गेम्स शुरू होगा. इसमें भले ही चीन और जापान के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है, लेकिन भारत ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है. कबड्डी में भारत का एशियन गेम्स में कोई तोड़ नहीं है. नौ में से नौ गोल्ड मेडल पर भारत ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2018 10:42 AM

-16 दिन बाकी

18 अगस्त से इंडोनेशिया की राजधानी जाकार्ता में एशियन गेम्स शुरू होगा. इसमें भले ही चीन और जापान के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है, लेकिन भारत ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है. कबड्डी में भारत का एशियन गेम्स में कोई तोड़ नहीं है. नौ में से नौ गोल्ड मेडल पर भारत ने कब्जा किया है. अन्य खेलों की बात करें, तो एथलेटिक्स में भारत ने कुल 233 पदक जीते हैं, तो अन्य खेलों से बेहतर है. दूसरे स्थान पर कुश्ती है. 56 मेडल शामिल हैं. बॉक्सिंग में भी प्रदर्शन अच्छा रहा है.

कबड्डी में 100 फीसदी सफलता, भारत ने जीते हैं कुल नौ गोल्ड मेडल, महिलाओं के दो

कबड्डी टीम का प्रदर्शन

-1990 में पहली बार कबड्डी को एशियन गेम्स में शामिल किया गया था, महिला टीम 2010 से हिस्सा ले रही हैं

पुरुष टीम

1990 : गोल्ड मेडल

1994 : गोल्ड मेडल

1998 : गोल्ड मेडल

2002 : गोल्ड मेडल

2006 : गोल्ड मेडल

2010 : गोल्ड मेडल

2014 : गोल्ड मेडल

महिला टीम

2010 : गोल्ड मेडल

2014 : गोल्ड मेडल

07 -07 मेडल जीते हैं पाकिस्तान और बांग्लादेश की टीमें, दूसरे स्थान पर हैं.

1954 एशियन गेम्स: मनोहर आइच ने 1954 में भारत को दिलाया था गोल्ड

-आजादी के बाद पहली बार भारत व पाकिस्तान की टीमों ने लिया हिस्सा

दूसरे एशियाई खेल फिलिपींस की राजधानी मनिला में एक मई से नौ मई, 1954 के बीच आयोजित किये गये थे. इसमें 18 देशों ने भाग लिया था. भारत के प्रदर्शन की बात करें तो इस संस्करण में कुल 13 पदक भारतीय दल ने जीते थे. इनमें चार गोल्ड, चार सिल्वर और पांच कांस्य पदक शामिल थे, जबकि पदक तालिका में भारत पांचवें स्थान पर रहा था. आजादी के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान की टीमों ने हिस्सा लिया. उद्घाटन समारोह के अवसर पर मनिला के मलाटे स्थित रिजल मेमोरियल स्टेडियम में 20,000 लोग उपस्थित थे.

अन्तओस के अनुरोध पर मशाल रिले और कौल्ड्रॉन प्रज्वलन को उद्घाटन समारोह से बाहर रखा गया ताकि ओलिंपिक खेलों की परंपरा को कायम रखा जा सके. मशाल विधि को 1958 के एशियाई खेलों में पुनः लाया गया. हालांकि मेजबान द्वारा अन्तिम खिलाड़ी के लिए परेड में प्रवेश करने के लिए एक विशेष प्रशस्ति पत्र का समाधान दिया गया. बतौर मेजबान, फिलिपींस स्टेडियम में प्रवेश करने वाला अंतिम देश था. आन्द्रेस फ्रांको फिलिपींस के ध्वज वाहक थे.

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