एशियन गेम 2018 : 08 दिन शेष
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एशियन गेम्स 1986 : पीटी उषा की काबिलियत को पूरी दुनिया ने जाना
एशियन गेम 2018 : 08 दिन शेष 1986 एशियन गेम्स में पीटी उषा का बोलबाला रहा था. दक्षिण कोरिया की मेजबानी में सियोल में इसका आयोजन किया गया. पहली बार भारत की उड़न परी पीटी उषा की काबिलियत को लोगों मे जाना, हालांकि भारत के लिए ये साल इतना अच्छा नहीं रहा. भारत ने कुल […]
1986 एशियन गेम्स में पीटी उषा का बोलबाला रहा था. दक्षिण कोरिया की मेजबानी में सियोल में इसका आयोजन किया गया. पहली बार भारत की उड़न परी पीटी उषा की काबिलियत को लोगों मे जाना, हालांकि भारत के लिए ये साल इतना अच्छा नहीं रहा. भारत ने कुल 37 पदक जीते, जिनमे सिर्फ 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 23 कांस्य पदक शामिल थे. मेडल जीतने वाले देशों की सूची में वह 5वें स्थान पर रहा.
उस साल पीटी उषा ने 200 मीटर, 400 मीटर और 400 मीटर की बाधा रेस में गोल्ड पदक जीता, हालांकि 100 मीटर रेस में वह फिलिपींस की लीडिया से हार गयी. इस प्रदर्शन के बारे में जब पीटी उषा से पूछा जाता तो वह कहती कि उस वक्त मैं एशिया की बेस्ट एथलीट थी. एशियन गेम्स से एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100, 200, 400 मीटर और 400 मीटर की बाधा रेस में गोल्ड जीते थे. उन एशियन गेम्स में भी मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं 5 गोल्ड जीतूंगी, लेकिन 100 मीटर की रेस में मुझे हार का सामना करना पड़ा.
पीटी उषा के अलावा तैराक खजान सिंह ने भी साल 1986 में अपनी क्षमता से दुनिया को वाकिफ कराया, उन्होंने 200 मीटर की रेस में सिल्वर जीता. खजान सिंह भारत के पहले तैराक थे, जिन्होंने एशियाइ स्तर पर कोई मेडल जीता हो. वहीं पहलवान करतार सिंह ने 1978 के बाद एक बार फिर इस साल गोल्ड मेडल जीता, हालांकि 1982 में उन्हें फाइनल में हारकर सिल्वर से ही काम चलाना पड़ा. हॉकी में भारत के लिए ये साल भी ज्यादा अच्छा नहीं रहा. इस बार भारत ने कांस्य पदक जीता, वहीं दक्षिण कोरिया ने पाकिस्तान को 2-1 सा हराकर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. इस तरह हॉकी में पाकिस्तान और भारत का दबदबा कम हो गया.
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