#AsianGames2018 : बजरंग पूनिया ने भारत को दिलाया पहला स्वर्ण, सुशील ने किया निराश
जकार्ता : भारत के बजरंग पूनिया ने एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच डाला है. बजरंग ने 65 किलो कुश्ती स्पर्धा में स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया. इसके साथ ही भारत की झोली में दो पदक आ चुका है. हालांकि 74 किलो स्पर्धा में सुशील कुमार ने भारत की उम्मीदों […]
जकार्ता : भारत के बजरंग पूनिया ने एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच डाला है. बजरंग ने 65 किलो कुश्ती स्पर्धा में स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया. इसके साथ ही भारत की झोली में दो पदक आ चुका है. हालांकि 74 किलो स्पर्धा में सुशील कुमार ने भारत की उम्मीदों को गहरा झटका दिया और अपनी पहली बाउट हारने के बाद इन खेलों से बाहर हो गये.
पहलवान बजरंग पूनिया ने रविवार को यहां 18वें एशियाई खेलों की पुरुष 65 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती की खिताबी बाउट में जापान के ताकातानी दाईची को पराजित कर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया.
बजरंग को इस वर्ग में स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. उन्होंने फाइनल बाउट में जापानी प्रतिद्वंद्वी को 11-8 से शिकस्त दी. चौबीस वर्षीय भारतीय पहलवान ने एशियाई खेलों से पहले लगातार तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किये थे.
उन्होंने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में, जार्जिया में तबलिसी ग्रां प्री और इस्तांबुल में यासर दोगु अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में खिताब जीता था. अपनी स्वर्ण पदक बाउट से पहले बजरंग ने उज्बेकिस्तान के खासानोव सिरोजिद्दीन, ताजिकिस्तान के फेजिएव अब्दुलकोसिम और मंगोलिया के बातचुलुन्न बातमागनाई को हराया.
सुशील को एशियाई खेलों के लिये हुए ट्रायल में छूट दी गयी थी और वह यहां चार साल में पहली बाउट हारने के बाद आये थे. पहले पीरियड में सुशील ने 2-1 की बढ़त बनायी हुई थी लेकिन बहरीन के खिलाड़ी ने शानदार वापसी कर भारतीय प्रशंसकों को चुप कर दिया. उनकी हार से भारतीय खेमे के लिये हैरानी भरी है, सुशील खुद अपनी हार से हैरान थे.
उन्होंने कहा, मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी. मैं कोई बड़ा टूर्नामेंट खेलकर नहीं आया था, मेरी हार का यही कारण है. लेकिन यह खेल का हिस्सा है. मैं कड़ी मेहनत करूंगा और वापसी करूंगा. मैं सुस्त नहीं था, मैंने कोशिश की थी. लंदन ओलंपिक के रजत पदकधारी सुशील ने दूसरे पीरियड में स्कोर करने के दो मौके बनाये लेकिन वे इन्हें अंक में नहीं बदल सके जबकि बातिरोव ने कोई मौका नहीं गंवाया. वह 3-2 से आगे थे और फिर उन्होंने इस भारतीय को मैट से बाहर कर जीत दर्ज की.
वर्ष 2008 और 2012 ओलंपिक में क्रमश: कांस्य और रजत पदक जीतने वाले सुशील के पास रेपेचेज खेलने का मौका तब समाप्त हुआ जब बातिरोव क्वार्टरफाइनल की बाउट हार गये. अगर बातिरोव फाइनल में पहुंच जाते तो इस भारतीय को रेपेचेज के जरिये कांस्य पदक मुकाबले का मौका मिलता.
संदीप तोमर ने क्वार्टरफाइनल में हारने से पहले अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने तुर्कमेनिस्तान के रूस्तम नाजारोव के खिलाफ दूसरे दौर की बाउट 12-8 से जीती थी लेकिन उन्हें ईरान के रेजा अत्रिनाघार्ची से 9-15 से हार का मुंह देखना पड़ा. ईरान का यह पहलवान अपनी सेमीफाइनल बाउट हार गया जिससे संदीप का टूर्नामेंट में सफर खत्म हो गया.
तोमर ईरानी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ तकनीकी रूप से बेहतर प्रदर्शन की बदौलत 6-6 की बराबरी पर थे. लेकिन दूसरे पीरियड में रेजा ने बड़े स्कोर करने वाले दांव खेले और जीत दर्ज की. मौसम खी को 97 किग्रा वर्ग में उज्बेकिस्तान के मागोमेद इब्रागिमो से 0-8 से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. खत्री पूरी बाउट के दौरान सुस्त दिखे और उन्होंने कोई आक्रामक दांव नहीं खेला.
वहीं 86 किग्रा में पवन कुमार ने कम्बोडिया के हेंग वुथी को 8-0 से पराजित कर अच्छी शुरूआत की लेकिन वह बाद में ईरान के मौजूदा विश्व चैम्पियन हसन याजदानी चराती से हार गये जो तकनीकी रूप से उनके फाकी बेहतरत थे. याजदानी रियो ओलंपिक पदक के स्वर्ण पदक विजेता भी हैं, इसके अलावा वह तीन विश्व कप स्वर्ण पदक भी जीत चुके हैं.