जकार्ता / पालेमबांग : बजरंग के इस जोशीले प्रदर्शन के पीछे उनके स्मार्ट फोन की भूमिका बेहद अहम रही है. वो अपने स्मार्ट फोन के साथ घंटों व्यस्त रहते हैं. फोन की खातिर उन्होंने कई बार तो अपनी प्रैक्टिस तक छोड़ दी. अपने स्मार्ट फोन पर दुनिया के बड़े पहलवानों के वीडियो देखते हैं. उनके हर पहलू पर पैनी नजर रखते हैं, जिसकी वजह से उन्हें तैयारियों में मदद मिली.
पहलवान बजरंग पूनिया ने अपने कैरियर की ढलान पर खड़े सुशील कुमार की सारी चमक छीनते हुए 18वें एशियाई खेलों में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया, जबकि निशानेबाजों की झोली में महज एक कांस्य पदक गिरा. फार्म में चल रहे बजरंग ने 65 किलो वर्ग में पीला तमगा जीता, जबकि दो बार के ओलिंपिक चैंपियन सुशील 74 किलो वर्ग के क्वालिंफिकेशन मुकाबले में बहरीन के एडम बातिरोव से 3 . 5 से हारकर एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने का सपना पूरा नहीं कर सके.
बजरंग ने जकार्ता ने पीला तमगा जीता, जबकि भारत को पहला पदक 600 किलोमीटर दूर पालेमबांग में चल रही निशानेबाजी स्पर्धा के मिश्रित राइफल वर्ग में अपूर्वी चंदेला और रवि कुमार ने दिलाया, जिन्हें कांस्य पदक मिला. बजरंग राष्ट्रमंडल खेल तबिलिसी ग्रां प्री और यासर डोगु इंटरनेशनल टूर्नामेंट जीतकर यहां आये थे और उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरे.
उन्होंने अपने सारे मुकाबले तकनीकी रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से जीते. राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदकधारी बजरंग को पहले दौर में बाइ मिली थी, उन्होंने तकनीकी रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बदौलत सभी तीनों बाउट अपने नाम करते हुए 65 किग्रा वर्ग में दबदबा कायम रखा. बजरंग ने उज्बेकिस्तान के सिरोजिद्दीन को 13-3, ताजिकिस्तान के फेजिएव अब्दुलकोसिम को 12-2 और मंगोलिया के एन बाटमागनाई बाचुल्लु को 10-0 से हराकर स्वर्ण पदक बाउट में प्रवेश किया.