अपने पहले ही एशियाई खेल में सौरभ ने जीता स्वर्ण
पालेमबांग : सोलह बरस के सौरभ चौधरी आज 10 मीटर एयर पिस्टल में विश्व और ओलंपिक चैम्पियनों को पछाड़ते हुए पीला तमगा जीतने के साथ ही एशियाई खेलों के इतिहास में स्वर्ण जीतने वाले भारत के पांचवें निशानेबाज बन गए. पहली बार सीनियर स्तर पर खेल रहे चौधरी ने बेहद परिपक्वता और संयम का परिचय […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
August 21, 2018 12:14 PM
पालेमबांग : सोलह बरस के सौरभ चौधरी आज 10 मीटर एयर पिस्टल में विश्व और ओलंपिक चैम्पियनों को पछाड़ते हुए पीला तमगा जीतने के साथ ही एशियाई खेलों के इतिहास में स्वर्ण जीतने वाले भारत के पांचवें निशानेबाज बन गए. पहली बार सीनियर स्तर पर खेल रहे चौधरी ने बेहद परिपक्वता और संयम का परिचय देते हुए 2010 के विश्व चैम्पियन तोमोयुकी मत्सुदा को 24 शाट के फाइनल में हराया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण कर रहे भारत के अभिषेक वर्मा ने 219 . 3 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता. मेरठ के कलिना गांव में एक किसान के बेटे चौधरी ने 240 . 7 का स्कोर किया. वहीं जापान के 42 बरस के मत्सुदा ने 239 . 7 का स्कोर करके रजत पदक जीता. उन्होंने 23वें शाट पर 8 . 9 स्कोर किया जबकि चौधरी ने खेलों का रिकार्ड बनाते हुए आखिरी दो शाट में 10 . 2 और 10 . 4 स्कोर किया. चौधरी ने कुछ महीने पहले जर्मनी में जूनियर विश्व कप में रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता था.
एशियाई खेलों में उनसे पहले जसपाल राणा, रणधीर सिंह, जीतू राय और रंजन सोढी स्वर्ण जीत चुके हैं. तीन साल पहले निशानेबाजी में उतरे चौधरी ने कहा ,‘‘ मुझे कोई दबाव महसूस नहीं हुआ.’ क्वालीफिकेशन में भी उन्हें दबाव महसूस नहीं हुआ था और उन्होंने 586 स्कोर किया था. ओलंपिक और विश्व चैम्पियन कोरिया के जिन जिंगोह दूसरे और वर्मा छठे स्थान पर रहे थे. 11वीं के छात्र चौधरी ने बागपत के पास बेनोली में अमित शेरोन अकादमी में निशानेबाजी के गुर सीखे.घर पर वह अपने पिता की खेती बाड़ी में मदद करते हें. उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे खेती पसंद है. हमें अभ्यास से ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती लेकिन जब भी मैं गांव जाता हूं तो अपने पिता की मदद करता हूं.’
रोहतक के वर्मा ने भी तीन साल पहले ही निशानेबाजी शुरू की. उन्होंने कहा ,‘‘ शुरूआत में मैं नर्वस था लेकिन फिर संयम रखकर खेला. यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है और पदक जीतकर अच्छा लग रहा है . ‘ पांचवीं सीरिज में उन्होंने 10 . 7 का स्कोर करके खुद को पदक की दौड़ में बनाये रखा. इससे पहले वह मनु भाकर के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा में फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके थे. उन्होंने कहा ,‘‘मनु और मैं मिश्रित टीम फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके थे लेकिन हम निराश नहीं थे. हमने उससे काफी कुछ सीखा.’