कोच को द्रोणाचार्य नहीं मिलने से निराश है अर्जुन पुरस्कार विजेता मनिका बत्रा
नयी दिल्ली : अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिये अर्जुन पुरस्कार मिलने से मनिका बत्रा खुश हैं लेकिन अपने कोच संदीप गुप्ता को द्रोणाचार्य नहीं मिलने से वह निराश हैं. मनिका की देश का दूसरा सर्वोच्च खेल सम्मान मिलने की खुशी तब थोड़ा कम हो गयी जब उनके बचपन के कोच गुप्ता को दूसरी बार द्रोणाचार्य […]
नयी दिल्ली : अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिये अर्जुन पुरस्कार मिलने से मनिका बत्रा खुश हैं लेकिन अपने कोच संदीप गुप्ता को द्रोणाचार्य नहीं मिलने से वह निराश हैं.
मनिका की देश का दूसरा सर्वोच्च खेल सम्मान मिलने की खुशी तब थोड़ा कम हो गयी जब उनके बचपन के कोच गुप्ता को दूसरी बार द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिये चुना गया.
मनिका ने कहा, हां, मैं चाहती थी कि उन्हें पुरस्कार मिले लेकिन यह सरकार का फैसला है और हमें इसका सम्मान करना होगा. मैं कड़ी मेहनत करूंगी ताकि अगली बार उन्हें यह पुरस्कार मिले. उनकी मां सुशीला ने कहा, यह उसके लिये थोड़ी खुशी थोड़ा गम जैसा मामला है.
राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी और एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता मनिका राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की दौड़ में भी बनी थी. इस 23 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, हां मुझे इसकी (खेल रत्न) उम्मीद थी लेकिन अन्य खिलाड़ी भी योग्य थे. यह सही है. मैं इसके लिये अपनी तरफ से अच्छा प्रदर्शन जारी रखूंगी.
मनिका के कोच को पुरस्कार नहीं मिला लेकिन अचंता शरत कमल और एक अन्य प्रबल दावेदार श्रीनिवास राव को इसके लिये चुना गया. राव उन आठ प्रशिक्षकों में शामिल हैं जिन्हें 25 सितंबर को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जाएगा. मनिका के कोच गुप्ता ने कहा, जब तक योग्य प्रशिक्षकों को यह पुरस्कार मिलता है मुझे कोई परेशानी नहीं.हर साल द्रोणाचार्य पुरस्कारों की संख्या मेरी परेशानी है. यह अर्जुन पुरस्कार के समान होनी चाहिए. प्रत्येक अर्जुन पुरस्कार विजेता के पीछे कोच की कड़ी मेहनत होती है. इसको भी समझना जरूरी है. मनिका को इस अवसर पर हर्बालाइफ का ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया गया.