फीफा विश्व कप: फ्रांस ने उठाया गोल-लाइन तकनीक का फायदा
पोर्टो एलेग्रे (ब्राजील) : फ्रांस को होंडुरास के खिलाफ विश्व कप में गोल-लाइन तकनीक के इस्तेमाल का फायदा मिला, जिससे उन्हें एक गोल प्राप्त हुआ. फ्रांस की टीम 1.0 से बढ़त बनायी हुई थी, बेनजेमा का शॉट गोलपोस्ट को हिट करके रिबाउंड होकर होंडुरास के गोलकीपर नोएल वालाडारेस के पास चला गया. सात वीडियो कैमरों […]
पोर्टो एलेग्रे (ब्राजील) : फ्रांस को होंडुरास के खिलाफ विश्व कप में गोल-लाइन तकनीक के इस्तेमाल का फायदा मिला, जिससे उन्हें एक गोल प्राप्त हुआ. फ्रांस की टीम 1.0 से बढ़त बनायी हुई थी, बेनजेमा का शॉट गोलपोस्ट को हिट करके रिबाउंड होकर होंडुरास के गोलकीपर नोएल वालाडारेस के पास चला गया.
सात वीडियो कैमरों ने गेंद का आकलन किया, जिसमें पता चला कि गेंद कुछ इंच लाइन के पार चली गयी थी जिससे रैफरी की घडी में अलर्ट आया गोल, जिसके बाद वालाडारेस ने गेंद बाहर कर दी. अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार यह आत्मघाती गोल वालाडारेस के नाम हो गया जिससे फ्रांस ने 48वें मिनट में 2.0 से बढ़त बना ली.
लेकिन जब गोल-लाइन प्रणाली से रिप्ले देखे गये तो इसमें कुछ संदेह उत्पन्न हो गया जब इसमें बेनजेमा के शाट को ह्यनो गोलह्ण दिखाया जा रहा था. इससे होंडुरास के खिलाडी काफी गुस्से में आ गये और इनमें से कुछ रैफरी सांड्रो रिची के पास पहुंचे जबकि होंडुरास के कोच लुई सुआरेज ने फ्रांसिसी को डिडिएर डेसचैम्पस को कोसना शुरु कर दिया. लेकिन मैच के बाद उन्होंने एक दूसरे को गले लगाया.
एएफपी के अनुसार सुआरेज ने अनुवादक के जरिये कहा, मैं गुस्से में नहीं था कि उन्होंने गोल स्वीकार कर लिया है. मैं इसलिये गुस्से में था क्योंकि मशीन ने गोल स्वीकार नहीं किया था. पहले फैसले में नो गोल था लेकिन फिर मशीन ने कहा कि यह गोल था. उन्होंने कहा, इसलिये मैं नहीं जानता कि क्या सोचूं. यही मेरा पक्ष है. अगर तकनीक सही संदेश देती है तो मैं नहीं समझता कि प्रणाली यह कैसे कह सकती है कि पहले यह गोल था और फिर यह नो गोल था. सच क्या है?