11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मैरीकॉम छठी बार बनी वर्ल्‍ड चैंपियन, सोनिया को रजत से करना पड़ा संतोष

नयी दिल्ली : भारतीय सुपरस्टार एम सी मैरीकॉम (48 किग्रा) ने अपने अनुभव के बूते शनिवार को यहां केडी जाधव हाल में दसवीं महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में यूक्रेन की युवा हाना ओखोटा को 5-0 से पस्त कर छठा स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाला, जबकि सोनिया (57 किग्रा) को हारकर रजत पदक […]

नयी दिल्ली : भारतीय सुपरस्टार एम सी मैरीकॉम (48 किग्रा) ने अपने अनुभव के बूते शनिवार को यहां केडी जाधव हाल में दसवीं महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में यूक्रेन की युवा हाना ओखोटा को 5-0 से पस्त कर छठा स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाला, जबकि सोनिया (57 किग्रा) को हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा.

मैरीकॉम ने इस तरह क्यूबा के महान पुरुष मुक्केबाज फेलिक्स सेवोन की बराबरी कर ली जो विश्व चैम्पियनशिप में छह खिताब जीत चुके हैं. इससे पहले वह आयरलैंड की केटी टेलर के साथ बराबरी पर थी जो पांच बार विश्व चैम्पियन रह चुकी हैं. ‘मैग्नीफिशंट मेरी’ मुकाबले के पहले राउंड में मैरीकॉम ने दायें हाथ से सीधा तेज पंच लगाकर शुरुआत की.

इसके बाद उन्होंने विपक्षी खिलाड़ी को जरा भी मौका नहीं दिया और बीच बीच में तेजी से मुक्के जड़ते हुए पांचों जज से पूरे अंक हासिल किये. इस दौरान दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर भी गयी थी. दूसरे राउंड में कोच की सलाह के बाद हाना ने आक्रामक होने की पूरी कोशिश की, पर पांच बार की विश्व चैम्पियन के सामने उनकी एक नहीं चली.

हालांकि इसमें यूक्रेन की मुक्केबाज ने दायें हाथ से लगाये गये शानदार मुक्कों से कुछ बेहतरीन अंक जुटाये लेकिन वह मैरीकॉम से आगे नहीं निकल सकीं. मैरीकॉम ने अपनी चिर परिचित शैली में खेलते हुए जानदार पंच से विपक्षी का हौसला पस्त करना जारी रखा. जो तीसरे राउंड में भी जारी रहा.

इसमें भी भारतीय मुक्केबाज का जलवा कायम रहा, उन्होंने दबदबा जारी रखते हुए तेजी से कई पंच विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर जमा दिये. ऐसा दिख रहा था कि विपक्षी मुक्केबाज उनके सामने निरूत्तर थी. उसने कई बार जोरदार मुक्कों से वापसी का प्रयास किया, लेकिन अनुभवी मैरीकॉम के पास उनकी हर चाल का जवाब था.

मैरीकॉम ने खचाखच भरे स्टेडियम में घरेलू दर्शकों के सामने दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया. यह उनका विश्व चैम्पियनशिप में सातवां पदक है, इससे पहले वह पांच स्वर्ण और एक रजत जीत चुकी थी. मुकाबला जीतने के बाद मैरीकॉम काफी भावुक हो गयीं और खुशी की वजह से उनके आंसू थम नहीं रहे थे.

उन्होंने इस पदक को देश को समर्पित किया. लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मैरीकॉम को निश्चित रूप से अपार अनुभव का फायदा मिला. उन्होंने कोच की रणनीति के अनुसार खेलते हुए लाइट फ्लाईवेट फाइनल में अपने से 13 साल छोटी हाना को 5 – 0 से पराजित किया, जो युवा यूरोपीय चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता है.

मैरीकॉम ने हाल में सितंबर में पोलैंड में हुई सिलेसियान मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में यूक्रेन की इस मुक्केबाज को हराकर फाइनल में प्रवेश कर स्वर्ण पदक हासिल किया था. मणिपुर की इस मुक्केबाज ने अपने सटीक और ताकतवर मुक्कों की बदौलत पांचों जज से 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 30-27 अंक हासिल किये.

स्टेडियम में बैठा हर व्यक्ति इस दौरान पैंतीस वर्षीय मैरीकॉम का उत्साह बढ़ा रहा था. भिवानी की 21 वर्षीय सोनिया को फेदरवेट फाइनल में जर्मनी की गैब्रियले ओर्नेला वाहनर से 1-4 से शिकस्त मिली. वह पाचों जज के फैसले में 28-29, 28-29, 29-28, 28-29 , 28-29 से पिछड़ीं.

सोनिया पहले ही कह चुकी थी कि विपक्षी मुक्केबाज ‘हार्ड हिटर’ है और वह इतनी तेज नहीं खेलतीं. मुकाबले के दौरान साफ दिखा कि जर्मनी की मुक्केबाज तीनों राउंड में हावी रही और सोनिया का दनादन मुक्कों से दमखम भी कम हो गया. हालांकि वह अपनी पहली विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने में सफल रही, यह शानदार उपलब्धि है.

मैरीकॉम जब रिंग पर उतरी तो उन्होंने शुरू से हावी होने की कोशिश की. इस स्टार मुक्केबाज ने दायें हाथ से सीधा तेज पंच लगाकर शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने विपक्षी खिलाड़ी को जरा भी मौका नहीं दिया और बीच-बीच में तेजी से मुक्के जड़ते हुए पांचों जज से पूरे अंक हासिल किये.

इस दौरान दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर भी गयी थी. दूसरे राउंड में कोच की सलाह के बाद हाना ने आक्रामक होने की पूरी कोशिश की, पर पांच बार की विश्व चैम्पियन के सामने उनकी एक नहीं चली. हालांकि इसमें यूक्रेन की मुक्केबाज ने दायें हाथ से लगाये गये शानदार मुक्कों से कुछ बेहतरीन अंक जुटाये लेकिन वह मैरीकॉम से आगे नहीं निकल सकीं.

मैरीकॉमने अपनी चिर परिचित शैली में खेलते हुए जानदार पंच से विपक्षी का हौसला पस्त करना जारी रखा. जो तीसरे राउंड में भी जारी रहा. इसमें भी भारतीय मुक्केबाज का जलवा कायम रहा, उन्होंने दबदबा जारी रखते हुए तेजी से कई पंच विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर जमा दिये. ऐसा दिख रहा था कि विपक्षी मुक्केबाज उनके सामने निरूत्तर थी. उसने कई बार जोरदार मुक्कों से वापसी का प्रयास किया, लेकिन मैरीकॉम के पास उनकी हर चाल का जवाब था.

वहीं सोनिया का मुकाबला इससे बिलकुल विपरीत रहा, जिसमें भारतीय मुक्केबाज दूसरे राउंड में ही पस्त हो गयी थी. पहले राउंड में जर्मनी की मुक्केबाज ने आक्रामक खेलना शुरू किया और मजबूत मुक्कों से मेजबान देश की मुक्केबाज को पछाड़ा जो रक्षात्मक खेलते हुए पंच लगाने का मौका ढूंढती दिखी और एक जोरदार पंच से गिर भी गयीं.

दूसरे राउंड और तीसरे राउंड का हाल एक सा रहा जिसमें सोनिया के पास गैब्रिएल के मुक्कों का कोई जवाब नहीं था. हालांकि सोनिया ने वापसी की कोशिश के तहत अंत में कुछ लगातार मुक्के जमाये। सोनिया ने मुकाबले के बाद स्वीकार किया कि वह विपक्षी से कमतर थी.

उन्होंने कहा, वह हार्ड हिटर है और मजबूत मुक्केबाज है, मैं यह जानती थी. मुझे लगातार पंच लग रहे थे जिससे थोड़ा स्टैमिना कम हुआ और यहीं कमतर रह गयी. उन्होंने कहा, यह मैरी पहली बड़ी चैम्पियनशिप, इसमें रजत पदक जीतना अच्छा है. अगली बार पूरी तरह तैयार होकर खेलूंगी और स्वर्ण पदक जीतूंगी. अब ध्यान 2020 ओलंपिक क्वालीफायर पर लगाऊंगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें