क्रिकेट को छोटे प्रारूप की जरूरत, हॉकी को नहीं : रिक चार्ल्सवर्थ
भुवनेश्वर : युवा ओलंपिक में ‘फाइव अ साइड’ प्रारूप की सफलता से उत्साहित अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ अगले साल इसे बड़े पैमाने पर लांच करने की तैयारी में है लेकिन रिक चार्ल्सवर्थ जैसे अनुभवी कोचों का मानना है कि हाकी को क्रिकेट की तरह छोटे प्रारूप की जरूरत नहीं है. एफआईएच अगले साल हाकी फाइव का […]
भुवनेश्वर : युवा ओलंपिक में ‘फाइव अ साइड’ प्रारूप की सफलता से उत्साहित अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ अगले साल इसे बड़े पैमाने पर लांच करने की तैयारी में है लेकिन रिक चार्ल्सवर्थ जैसे अनुभवी कोचों का मानना है कि हाकी को क्रिकेट की तरह छोटे प्रारूप की जरूरत नहीं है. एफआईएच अगले साल हाकी फाइव का नुमाइशी टूर्नामेंट शुरू करने की सोच रहा है लेकिन उसने यह भी कहा कि ओलंपिक में 11 खिलाड़ियों के प्रारूप की जगह इसे नहीं दी जायेगी.
चार्ल्सवर्थ ने कहा ,‘‘ कई फैसले पैसे की वजह से लिये जा रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है.मुझे चिंता हो रही है.कुछ फैसले अब खेल के लिए नहीं बल्कि प्रायोजकों को ध्यान में रखकर लिये जा रहे हैं जो काफी खतरनाक है .’ उन्होंने कहा कि व्यवसाय पर ज्यादा ध्यान देने से दर्शक खेल से दूर हो जायेंगे.उन्होंने कहा ,‘‘ आपको पैसा चाहिए लेकिन दर्शकों के अलावा खिलाड़ी भी चाहिए.
पैसे को ज्यादा अहमियत देना सही नहीं है. ‘ न्यूजीलैंड के कोच शेन मैकलियोड ने कहा कि यह बदलाव समय की जरूरत है लेकिन हाकी फाइव को पारंपरिक प्रारूप पर हाकी नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा ,‘‘ खेल में नयी पहल होना अच्छा है.क्वार्टर प्रणाली से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.हाकी फाइव का प्रयोग भी अच्छा है लेकिन पारंपरिक प्रारूप से बेहतर नहीं.’