भुवनेश्वर : ऑस्ट्रेलिया के महान कोच रिक चार्ल्सवर्थ का मानना है कि भारतीय हॉकी टीम ने विश्व कप में पदक जीतने का सबसे सुनहरा मौका गंवा दिया और तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के लिये उसे अपने प्रदर्शन में काफी सुधार करना होगा.
भारत का 43 साल बाद विश्व कप में पदक जीतने का सपना नीदरलैंड के हाथों क्वार्टर फाइनल में हार के साथ टूट गया. चार्ल्सवर्थ ने कहा, भारत में खेलप्रेमियों की अपेक्षायें काफी अधिक रहती है और उन्हें पदक से कम पर संतोष नहीं होता.मेरे ख्याल से भारतीय टीम का छठे स्थान पर रहना अच्छा प्रदर्शन है, हालांकि उसके पास पदक जीतने का यह सबसे सुनहरा मौका था.
ग्यारह बरस पहले भारतीय हॉकी के तकनीकी निदेशक रहे चार्ल्सवर्थ ने यह भी कहा कि तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतना भारत के लिये आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा, अभी तो टीम को ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना है. उसके बाद पदक के लिये खेल के हर विभाग में सुधार करना होगा, खासकर गोलकीपिंग में.
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नीदरलैंड के खिलाफ गोलकीपिंग अच्छी होती तो दोनों गोल बचाये जा सकते थे. पी आर श्रीजेश टूर्नामेंट में अपने सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं था. उन्होंने कहा कि भारत के पास खिलाड़ियों का अच्छा पूल है और अब यह टीम कमजोर टीमों से नहीं हारती. चार्ल्सवर्थ ने कहा , विश्व कप में एस वी सुनील और सरदार सिंह जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के बिना भी अच्छा प्रदर्शन करना साबित करता है कि भारत के पास प्रतिभाओं की कमी नहीं है.
अब यह टीम कमजोर टीमों से नहीं हारती और शीर्ष टीमों के खिलाफ मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं रहती जो अच्छा संकेत है. चैम्पियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट में भारत उपविजेता रहा और यहां भी नीदरलैंड जैसी टीम को बराबरी की चुनौती दी. कोच के तौर पर हरेंद्र सिंह के प्रदर्शन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि भारत को देशी और विदेशी कोचों के साथ एक कोचिंग टीम बनानी चाहिये.
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उन्होंने कहा , हरेंद्र ने अच्छा काम किया है, लेकिन भारतीय हॉकी को एक विदेशी कोच की भी जरूरत है. भारतीय टीम के प्रदर्शन में विदेशी कोचों के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता. हरेंद्र और विदेशी कोच मिलकर प्रदर्शन में और सुधार कर सकते हैं.
खिलाड़ियों के साथ बेहतर संवाद भारतीय कोच ही कर सकता है. हरेंद्र ने क्वार्टर फाइनल हारने के बाद अंपायरिंग के स्तर पर सवाल उठाये थे और चार्ल्सवर्थ ने उनका समर्थन किया. उन्होंने कहा, कुछ फैसले भारत के लिये दुर्भाग्यपूर्ण रहे मसलन अमित रोहिदास को पीला कार्ड दिखाया गया, लेकिन भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह को धक्का देने पर भी डच खिलाड़ी को कोई कार्ड नहीं मिला. लेकिन हार का दोष अंपायरिंग को नहीं दिया जा सकता. भारत दोनों गोल बचा सकता था.
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