साल 2018 : भारतीय निशानेबाजी में युवा सितारों का रहा दबदबा

नयी दिल्ली : भारतीय निशानेबाजी में बीता साल युवा निशानेबाजों के नाम रहा जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीतने के अलावा विश्व रिकार्डों के साथ उज्जवल भविष्य की राह दिखाई. पिछले 12 महीने में पदक और रिकार्ड पर नजर डालें तो भारतीय निशानेबाजी का ग्राफ ऊपर की ओर चढ़ता गया और इसमें युवा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2018 4:13 PM

नयी दिल्ली : भारतीय निशानेबाजी में बीता साल युवा निशानेबाजों के नाम रहा जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीतने के अलावा विश्व रिकार्डों के साथ उज्जवल भविष्य की राह दिखाई.

पिछले 12 महीने में पदक और रिकार्ड पर नजर डालें तो भारतीय निशानेबाजी का ग्राफ ऊपर की ओर चढ़ता गया और इसमें युवा निशानेबाजों की अहम भूमिका रही जो दर्शाता है कि भारत के पास काफी प्रतिभा मौजूद है.

मनु भाकर ने लगभग हर जगह शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन एशियाई खेलों के फाइनल में वह चूक गईं. सोलह साल की मनु से उम्मीद थी कि वह एशियाई खेलों में अपने दो दोगुनी उम्र की और कहीं अधिक अनुभवी निशानेबाजों को पछाड़कर पदक जीतेगी, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें 25 मीटर रेंज पर रोते हुए भी देखा गया.
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मनु के अलावा किशोर पिस्टल निशानेबाज सौरभ चौधरी भी तेजी से उभरे जबकि सिर्फ 13 साल की ईशा सिंह ने राष्ट्रीय निशानेबाजी में तीन स्वर्ण पदक जीतने के दौरान मनु और हीना सिद्धू जैसे स्थापित नामों को हराया. इसी टूर्नामेंट में जूनियर मिश्रित टीम और युवा मिश्रित टीम एयर राइफल स्पर्धाओं में खिताबी जीत के दौरान मेहुली घोष के जोड़ीदार 10 साल के अभिनव साव थे.
झज्जर की मनु की ही उम्र के सौरभ ने भी रिकार्ड के साथ पदक जीते. अंजुम मोदगिल, मेहुली, सौरभ, मनु, अनीश और ईशा सिंह ने सुर्खियां बटोरी और इनका दबदबा देखकर ऐसा लगा मानों वर्षों से ये निशानेबाजी कर रहे हैं. भारत के एकमात्र ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा भी युवा निशानेबाजों से काफी प्रभावित हैं और उन्होंने हाल में युवा निशानेबाजों की जमकर तारीफ की थी.
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मनु और सौरभ ने बीते साल अंतरराष्ट्रीय सतर पर क्रमश: पांच और छह स्वर्ण पदक जीते जिसमें एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल, युवा ओलंपिक खेल, आईएसएसएफ विश्व कप (जूनियर और सीनियर दोनों) और एशियाई चैंपियनशिप शामिल हैं. तेइस साल के अंगद वीर सिंह बाजवा ने एशियाई शाटगन चैंपियनशिप में वह कारनामा किया जो आज तक कोई स्कीट निशानेबाज नहीं कर पाया.
उन्होंने फाइनल में 60 में से 60 का परफेक्ट स्कोर बनाया. इस भारतीय ने अमेरिका के दो बार के ओलंपिक चैंपियन, विश्व चैंपियन और महान स्कीट निशानेबाज विन्सेंट हैनकोक के 59 के स्कोर को पीछे छोड़ा. अंगद इस दौरान एशियाई चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक जीतने और स्कीट विश्व रिकार्ड अपने नाम करने वाले पहले भारतीय निशानेबाज बनें.
इसी तरह राइफल निशानेबाजी में मेहुली और इलावेनिल वलारिवान ने कई पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया जिसमें जूनियर और सीनियर विश्व कप, जूनियर विश्व चैंपियनशिप के अलावा युवा ओलंपिक खेलों का स्वर्ण पदक भी शामिल है. चौबीस साल की अंजुम भारत की शीर्ष राइफल निशानेबाज के रूप में उभरी.
उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और इसके साथ ही तोक्यो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाली पहली भारतीय निशानेबाज बनीं. उन्होंने इसके बाद राष्ट्रीय निशानेबाजी में एयर राइफल खिताबों का क्लीनस्वीप किया. बाइस साल के अखिल श्योराण ने आईएसएसएफ विश्व कप की पुरुष एयर राइफल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतकर दीपक कुमार और रवि कुमार जैसे सीनियर निशानेबाजों के लिए कड़ी चुनौती पेश की.
भारतीय निशानेबाजी के लिए सबसे महत्वपूर्ण अच्छी बेंच स्ट्रैंथ की मौजूदगी है. भारत ने साल का अंत 11 विश्व रिकार्ड के साथ किया जिसमें से दो सीनियर वर्ग में बने. निशानेबाजी रेंज से दूर भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रानिंदर सिंह अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ का उपाध्यक्ष बनने वाले पहले भारतीय बने. बिंद्रा को खिलाड़ी आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनकी सेवाओं के लिए खेल के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया.

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