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…और मस्ती ने ले लिया हिंसक रुप

ब्यूनसआयर्स : विश्व कप का खिताब जर्मनी के जीतने के बाद वहां मौजूद फैंस में काफी कुछ अलग देखने को मिला. जहां एक ओर वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूटने के बाद अर्जेंटीना के खिलाड़ी मायूस नजर आये वहीं फैंस के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. मस्ती में डूबे दर्शकों और निराश […]

ब्यूनसआयर्स : विश्व कप का खिताब जर्मनी के जीतने के बाद वहां मौजूद फैंस में काफी कुछ अलग देखने को मिला. जहां एक ओर वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूटने के बाद अर्जेंटीना के खिलाड़ी मायूस नजर आये वहीं फैंस के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. मस्ती में डूबे दर्शकों और निराश दर्शकों के बीच जमकर मारपीट भी हुई जिसके बाद घटना ने हिंसा का रुप ले लिया और पुलिस को सडकों पर चल रही इन पार्टियों को रोकना पडा.

हजारों लोग ब्यूनसआयर्स के ओबेलिस्क में जमा थे जहां यह देश पारंपरिक तौर पर जश्न मनाता है और रैलियां करता है. लोग ध्वज लहरा रहे थे, आतिशबाजी कर रहे थे और राष्ट्रीय नायक लियानेल मेस्सी के गुणगान किये जा रहे थे. अतिरिक्त समय में किये गोल से जर्मनी की जीत के बाद कई लोग अपने आंसू नहीं थाम पाये लेकिन युवा अर्जेंटीनी फिर भी ट्रैफिक लाइट्स पर चढ गये. वे सडकों और बस स्टाप पर नाच गा रहे थे। इस पार्टी के कुछ घंटे बाद ही अर्जेंटीना के कुछ धुर प्रशंसकों ने पुलिस पर पथराव करना शुरु कर दिया. इसके जवाब में पुलिस ने रबर की गोलियां, आंसू गैस और पानी की बौछारें छोडी.

इस झडप के कारण बच्चों के साथ आये परिवारों को रेस्टोरेंट या होटलों में शरण लेनी पडी. आंसू गैस छोडे जाने के बाद अधिकतर लोग भाग गये लेकिन कुछ दर्जन प्रशंसक फिर भी बचे रहे. उन्होंने तोडफोड और आगजनी करके पुलिस को उकसाया. टीवी में दिखाया गया कि इस बीच लुटेरों ने एक रेस्टोरेंट से टेबल और कुर्सियों सहित कई चीजें चुरायी. पुलिस देखती रही जिसके लिये उसकी आलोचना भी हुई. मीडिया रिपोटरें के अनुसार 15 पुलिसकर्मी घायल हो गये और 40 लोगों का गिरफ्तार किया गया है.

इस हिंसा को छोड दिया जाए तो अर्जेंटीना के अधिकतर हिस्सों में लोग हार से दुखी थे लेकिन उन्हें फिर अपनी टीम पर गर्व था. टीम के धुर प्रशंसक 27 वर्षीय लियांड्रो पेरेडेस ने कहा, ‘‘यह अब भी अच्छा विश्व कप था. जर्मनी के खिलाफ फाइनल खेलना बुरा नहीं था. मुझे टीम पर गर्व है. हम बदला : 1990 के फाइनल में मिली हार का : नहीं चुका पाये लेकिन मैंने फाइनल में 11 योद्धाओं को मैदान पर देखा. ’’ बीस वर्षीय मार्टिन रामिरेज का तब जन्म भी नहीं हुआ था जब डियगो माराडोना की अगुवाई में अर्जेंटीना ने 1986 में आखिरी बार विश्व कप जीता था.उन्होंने कहा, ‘‘रविवार का फाइनल काफी कडा था. मुझे लग रहा था कि मैं पहली बार अर्जेंटीना को विश्व कप चैंपियन बनते हुए देखूंगा.

’’आखिरी सीटी बजते ही ब्यूनसआयर्स प्लाजा सैन मार्टिन पर बडी स्क्रीन पर मैच देख रहे 50,000 लोगों ने मेसी और टीम के समर्थन में नारे लगाये. उनके लिये सांत्वना की बात यह थी उसका चिर प्रतिद्वंद्वी और मेजबान ब्राजील चौथे स्थान पर रहा. वे गा रहे थे, ‘‘ब्राजील जरा हमें बताओ कि अपने घर में हमें देखकर कैसा लग रहा है. ’’ कुछ और थे जिनके मुंह से बोल निकल रहे थे, ‘‘मैं अर्जेंटीनी हूं. आगे बढो अर्जेंटीना. हर दिन मेरा तुम्हारे प्रति प्यार बढ जाता है. ’’

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