भारतीय डेविस कप टीम ने पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले के लिए मांगा तटस्थ स्थल
नयी दिल्ली : भारतीय डेविस कप टीम चाहती है कि पाकिस्तान के खिलाफ अगले महीने होने वाले डेविस कप मुकाबले को तटस्थ स्थान पर स्थानांतरित किया जाए और वे हैरान हैं कि राष्ट्रीय महासंघ ने अब तक सिर्फ पुन: सुरक्षा जांच की मांग की है. तटस्थ स्थल की मांग करने को लेकर लगातार बयान देने […]
नयी दिल्ली : भारतीय डेविस कप टीम चाहती है कि पाकिस्तान के खिलाफ अगले महीने होने वाले डेविस कप मुकाबले को तटस्थ स्थान पर स्थानांतरित किया जाए और वे हैरान हैं कि राष्ट्रीय महासंघ ने अब तक सिर्फ पुन: सुरक्षा जांच की मांग की है.
तटस्थ स्थल की मांग करने को लेकर लगातार बयान देने के बावजूद अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के महासचिव हिरण्मय चटर्जी ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ (आईटीएफ) से सिर्फ पुन: सुरक्षा जांच की मांग की है.
इससे खिलाड़ी और टीम प्रबंधन निराश हैं और इस मामले में आपस में सलाह मशविरा करने के बाद उन्होंने महासंघ से संपर्क करने का फैसला किया. भारतीय कप्तान महेश भूपति ने कहा, हमने एआईटीए से तटस्थ स्थान का आग्रह किया है.
एक अन्य खिलाड़ी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि एआईटीए इस मामले से जिस तरह निपटा है उससे टीम ‘काफी हैरान’ है. एआईटीए ने कहा कि अगर आईटीएफ पुन: सुरक्षा जांच के बाद 14-15 सितंबर को होने वाले मुकाबले को स्वीकृति दे देता है तो वे वीजा औपचारिकताओं पर आगे बढ़ेंगे.
एआईटीए के भीतर का एक वर्ग भी हैरान है कि भारत सरकार हाल में जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म करने के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद कोई रुख अपनाने को तैयार नहीं है.
खेल मंत्री कीरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि एशिया ओसियाना ग्रुप ए मुकाबला द्विपक्षीय शृंखला नहीं है और डेविस कप की मेजबानी से विश्व संस्था जुड़ी है इसलिए वे टेनिस खिलाड़ियों को पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सकते.
एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, हम समझते हैं कि ओलंपिक चार्टर सरकार को हस्तक्षेप की स्वीकृति नहीं देता, लेकिन यह खिलाड़ी की जिंदगी का सवाल है. भारतीय नागरिक जब भी विदेश में फंसे होते हैं तो सरकार हमेशा उन्हें देश में सुरक्षित वापस लाने का प्रयास करती है.
उन्होंने पूछा, क्या टेनिस खिलाड़ी भारत के नागरिक नहीं हैं. सरकार उन्हें नहीं रोककर कैसे उनके जीवन को खतरे में डाल सकती है. मौजूदा हालात के बावजूद तटस्थ स्थल की मांग नहीं करने के लिए भी एआईटीए की आलोचना हुई.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, यह समझ से परे है कि एआईटीए ने आखिर क्यों स्पष्ट शब्दों में आयोजन स्थल में बदलाव की मांग नहीं की. वे घुमा-फिराकर बातें क्यों कर रहे हैं. क्या उनके लिए खिलाड़ियों की कोई अहमियत है.