बासेल (स्विट्जरलैंड) :ओलंपिक रजत पदक विजेता पी.वी. सिंधु ने रविवार को यहां बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप-2019 के फाइनल में दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर चैम्पियनशिप में पहली बार स्वर्ण पदक जीत लिया.
वर्ल्ड चैंपियन बनने पर सिंधू को सोशल मीडिया पर बधाईयों का तांता लग गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित खेल जगत के तमाम दिग्गजों ने बधाई दी.
भारतीय बैडमिंटन संघ (बाइ) ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल करने वाली पी वी सिंधू और साई प्रणीत को क्रमश: 20 लाख रुपये और पांच लाख रुपये देकर सम्मानित करेगा. सिंधू जहां विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनी वहीं प्रणीत पुरुष एकल में 36 साल बाद कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने.
पी वी सिंधू जब विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं तो उनके पास अपनी खुशी बयां करने के लिये शब्द नहीं थे.सिंधू ने बाद में पत्रकारों से कहा, मैं वास्तव में बहुत खुश हूं. मुझे इस जीत का इंतजार था और आखिर में मैं विश्व चैंपियन बन गयी. उन्होंने कहा, मेरे पास कहने के लिये शब्द नहीं है क्योंकि मैं मैंने लंबा इंतजार किया. पिछली बार मैंने रजत पदक जीता, उससे पहले भी मुझे रजत पदक से संतोष करना पड़ा था और आखिर में मैं विश्व चैंपियन बन गयी.
.सिंधू रविवार को यहां चैंपियनशिप के एकतरफा फाइनल में जापान की प्रतिद्वंद्वी नोजोमी ओकुहारा को हराकर स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं. फाइनल मुकाबले में रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता भारतीय खिलाड़ी ने 38 मिनट में 21-7 21-7 से आसान जीत दर्ज की. सिंधू ने इसके साथ ही दो साल पहले इस टूर्नामेंट के फाइनल में ओकुहारा से मिली हार का बदला भी ले लिया.
विश्व चैम्पियनशिप में सिंधू का यह पांचवां पदक है. पदकों की संख्या के मामले में सिंधू ने चीन की पूर्व ओलंपिक चैम्पियन झांग निंग की रिकार्ड की बराबरी की. सिंधू ने दो कांस्य पदक के साथ टूर्नामेंट के पिछले दो सत्र में दो रजत पदक भी हासिल किया है. इससे पहले शनिवार को यहां आल इंग्लैंड चैम्पियन चेन यु फेई पर सीधे गेम में मिली जीत से लगातार तीसरे फाइनल में प्रवेश किया. बी साई प्रणीत को केंटो मोमोटा से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.
सिंधू ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के पिछले दो चरण में लगातार रजत पदक हासिल किये, इसके अलावा उनके नाम दो कांस्य पदक भी हैं. हैदराबादी खिलाड़ी ने 40 मिनट तक चले सेमीफाइनल में चीन की दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी चेन यु फेई को 21-7 21-14 से शिकस्त दी थी और फाइनल में जगह बनाया.