नयी दिल्ली : विश्व चैम्पियन का ताज पहनकर मंगलवार को यहां लौटी पी वी सिंधू का जोरदार स्वागत किया गया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की हालांकि इस धुरंधर बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा कि अभी तक उन पर जीत का खुमार चढ़ा नहीं है.
ओलंपिक 2016 रजत पदक विजेता सिंधू ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को स्विटजरलैंड के बासेल में हुए फाइनल में 21-7, 21-7 से हराया. वह सोमवार की रात राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद के साथ भारत लौटी ओर हवाई अड्डे पर भीड़ ने उन्हें घेर लिया. हवाई अड्डे से बाहर आते ही मीडिया ने उन पर सवालों की बौछार कर दी.
इस पर सिंधू ने कहा , मैं बहुत खुश हूं. मुझे अपने देश पर गर्व है. इस जीत का काफी समय से इंतजार था और मैं बहुत ही खुश हूं. इसके कुछ देर बाद सिंधू ने खेलमंत्री कीरेन रीजीजू के साथ नाश्ता किया और बाद में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की.
प्रधानमंत्री ने अपने व्यक्तिगत ट्विटर पेज पर तस्वीरें साझा करते हुए सिंधू को ‘भारत का गौरव’ बताया. दूसरी ओर रीजीजू ने उसे 10 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिया. सिंधू ने कहा, अभी जीत का खुमार चढ़ा नहीं है. मुझे जश्न मनाने का मौका नहीं मिला क्योंकि अगले ही दिन भारत के लिये उड़ान लेनी थी.
हैदराबाद की यह खिलाड़ी दोपहर को अपने शहर रवाना हो गई. एक साल बाद होने वाले ओलंपिक में उसने काफी अपेक्षायें होंगी , इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा , मैं और मेहनत करूंगी और अधिक पदक जीतूंगी. उनसे बासेल में पदक वितरण समारोह के दौरान भावुक होने के बारे में भी सवाल पूछे गए. जब बासेल में राष्ट्रगीत बज रहा था तो सिंधू की आंखें भर आई थी. वह पहले विश्व चैम्पियनशिप में दो रजत और दो कांस्य जीत चुकी है.
उन्होंने कहा , मैं रो पड़ी थी क्योंकि जज्बात का सैलाब उमड़ रहा था. मेरे लिये वह बहुत बड़ा पल था. मेरे सारे प्रशंसकों को आशीर्वाद के लिये धन्यवाद. उसी की बदौलत मैं यहां पहुंची हूं. सिंधू ने कहा , मैं बता नहीं सकती कि पोडियम पर कैसा लग रहा था. इससे मुझे बेहतर प्रदर्शन का आत्मविश्वास मिला.
मैं अपने कोच गोपी सर और किम (जि ह्यून) को धन्यवाद देना चाहती हूं. उन्होंने काफी मेहनत की और मेरे खेल में कुछ बदलाव किये. उन्होंने सरकारी एजेंसियों और भारतीय बैडमिंटन संघ को भी धन्यवाद दिया.गोपीचंद ने कहा कि सिंधू का स्वर्ण खास है लेकिन बड़े टूर्नामेंटों में उनके पिछले पदकों को भी नहीं भूलना चाहिये. उन्होंने कहा , हम पहले भी रजत और कांस्य जीत चुके हैं. सवाल स्वर्ण का था.
ओलंपिक से पहले यह जीत अप्रतिम है. उसने जिस तरह से जीता, वह काबिले तारीफ है. रीजीजू और मोदी के साथ मुलाकात के दौरान बाइ अध्यक्ष हेमंत विश्व शर्मा, किम जि ह्यून और सिंधू के पिता पी वी रमन्ना भी मौजूद थे.