गोपीचंद से मुलाकात ने बदल दी मानसी की किस्मत
कोलकाता : पैरा बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी मानसी जोशी की किस्मत पुलेला गोपीचंद से एक मुलाकात के बाद बदल गयी जहां इस खिलाड़ी ने राष्ट्रीय कोच को विश्व चैम्पियन बनने के अपने सपने के बारे में बताया था. तीस साल की इस खिलाड़ी ने बासेल में हुई विश्व […]
कोलकाता : पैरा बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी मानसी जोशी की किस्मत पुलेला गोपीचंद से एक मुलाकात के बाद बदल गयी जहां इस खिलाड़ी ने राष्ट्रीय कोच को विश्व चैम्पियन बनने के अपने सपने के बारे में बताया था.
तीस साल की इस खिलाड़ी ने बासेल में हुई विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने से पहले 2017 में कांस्य, जबकि 2015 में मिश्रित युगल में रजत पदक जीता था. मानसी ने 2011 में एक सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर हमेशा के लिए खो दिया लेकिन इससे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल को जारी रखने का उनका सपना नहीं टूटा. मानसी को अपने सपने को पूरा करने के लिए एक अच्छे गुरू की तलाश थी जो द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता गोपीचंद से मिलने के बाद खत्म हुई.
बैंक में काम करने वाली इस खिलाड़ी को गोपीचंद की हैदराबाद अकादमी में प्रशिक्षण लेने का काफी फायदा मिला. उन्होंने कहा, मैं अहमदाबाद में एक बैंक में काम कर रही थी, जहां हमारे पास एक बड़ा सभागार था. हमने इस सभागार को कार्यक्रम के लिए गुजरात खेल विश्वविद्यालय को किराये पर दिया था और इस कार्यक्रम में गोपी सर भी एक वक्ता थे.
मानसी से कहा कि वह गोपीचंद से मिलने में झिझक रही थी, लेकिन उनके सहयोगियों ने जोर दिया कि उन्हें गोपी से मिलने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा, मैंने लिफ्ट के पास गोपी सर को देखा और तुरंत उनके पास पहुंच कर पैरा खेलों के अलावा अपनी खेल यात्रा के बारे में उन्हें बताया.
उस समय 2018 जकार्ता पैरा एशियाई खेलों में कुछ महीने का समय बाकी था और मैंने उन्हें अपनी योजना के बारे में बताया. वह इसके बाद हैदराबाद स्थिति अकादमी में मुझे मौका देने के लिए तैयार हो गये. उन्होंने बताया कि हैदराबाद अकादमी में उन्होंने कोच जे राजेन्द्र कुमार और फिटनेस ट्रेनर एल राजू की देख रेख में प्रशिक्षण शुरू किया.
मानसी को यहां मुश्किल प्रशिक्षण सत्र से गुजराना पड़ा क्योंकि वह दौड़ने या साइकिल चलाने में सक्षम नहीं थी. इस प्रशिक्षण ने हालांकि उन्हें और मजबूत बनाया. हैदराबाद में ही उनके पैर का प्रोस्थेटिक (कृत्रिम) प्रत्यारोपण किया गया. उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में गत चैम्पियन पारूल परमार को महिला एकल के एसएल तीन वर्ग में 21-12, 21-7 हराकर खिताब अपने नाम किया था.
उन्होंने कहा, मैंने यहां अलग-अलग कौशल सीखा. मैंने हैदराबाद में अपना प्रोस्थेटिक पैर बनवाया. इन सभी चीजों से मुझे फायदा हुआ और मैं विश्व खिताब जीत सकी. गोपी सर हमेशा मेरे मैच के दौरान मौजूद रहते थे और मेरा हौसला बढ़ाते थे. मानसी ने कहा कि अब उनका ध्यान अगले साल होने वाले पैरालंपिक खेलों पर है जहां वह मिश्रित युगल वर्ग में जगह बनाने की कोशिश कर रही हैं.
मानसी एकल में एसएल तीन वर्ग में खेलतीं है और यह 2020 तोक्यो में होने वाले खेलों का हिस्सा नहीं है. वह मिश्रित युगल में जगह बनाने के लिए हरियाणा के राकेश पांडे के साथ अभ्यास कर रही है जिनके साथ उन्होंने 2015 में रजत पदक हासिल किया.
मौजूदा रैंकिंग में 13वें स्थान पर काबिज इस जोड़ी की कोशिश शीर्ष छह में पहुंचने की है ताकि वे तोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर सके. उन्होंने कहा, हमारे पास छह टूर्नामेंटों में भाग लेने का मौका है. यह मुश्किल होगा क्योंकि सभी टीमें अच्छी है. हम भी अपने खेल में सुधार कर रहे हैं. यह खेल काफी प्रतिस्पर्घी है.