ग्लास्गो : पारुपल्ली कश्यप ने रविवार को यहां कॉमनवेल्थ गेम्स में 32 साल बाद बैडमिंटन एकल में स्वर्ण पदक जीतने वाला पहला भारतीय पुरुष शटलर बनने के साथ ही अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया. हालांकि ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की महिला युगल जोड़ी को रजत पदक से संतोष करना पड़ा.
दिल्ली गेम्स के कांस्य पदकधारी कश्यप ने एक घंटे से ज्यादा देर तक चले पुरुष एकल फाइनल मुकाबले में सिंगापुर के डेरेक वोंग के खिलाफ मौके का पूरा फायदा उठाते हुए दिल थाम देने वाले मुकाबले में 21-14, 11-21, 21-19 से जीत दर्ज की. हैदराबाद का यह 27 वर्षीय खिलाड़ी इस तरह महान बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण और दिवंगत सैयद मोदी की जमात में शामिल हो गया, जिन्होंने बीते समय में खिताब जीता था.
पादुकोण ने 1978 में कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुष एकल का स्वर्ण पदक जीता था जबकि चार साल बाद मोदी ने इसमें जीत दर्ज की थी. लेकिन ज्वाला और अश्विनी की 2010 की स्वर्ण पदकधारी जोड़ी फिर से पुराना जादू नहीं दोहरा सकी और उन्हें विवियान काह मुन हू और खे वेई वून की दुनिया की 18वें नंबर की मलेशियाई जोडी से 41 मिनट तक चले मुकाबले में 17-21, 21-23 से पराजय का मुंह देखना पड़ा. फिर भी ज्वाला और अश्विनी के पदकों में यह रजत पदक भी अहम है जिन्होंने 2011 विश्व चैम्पियनशिप और इस साल अप्रैल में एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप दोनों में कांस्य पदक जीता था.
दुनिया के 22वें नंबर के खिलाड़ी कश्यप के लिए रविवार का दिन काफी शुभ साबित हुआ, जिन्होंने अपने करियर का सबसे बडा खिताब हासिल किया. वह लंदन ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे थे.