इंचियोन : राष्ट्रमंडल खेलों में अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन करने से उत्साहित भारतीय खिलाडि़यों की नजरें कल से शुरु हो रहे 17वें एशियाई खेलों में चीन और जापान जैसे महाद्वीप के दिग्गजों के सामने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर होंगी.
जुलाई अगस्त में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने 15 स्वर्ण समेत 64 पदक जीते थे. इससे भारतीयों को ग्वांग्झू में चार साल पहले हुए एशियाई खेलों से बेहतर प्रदर्शन का हौसला मिला है.
वैसे कुछ खेलों को छोड़कर एशियाई खेलों में चुनौती राष्ट्रमंडल खेलों की तुलना में कठिन होती है. अधिकांश खेलों में मुकाबला चीन, दक्षिण कोरिया, जापान और पूर्व सोवियत संघ के देशों में होगा.
भारत ने 2010 एशियाड में 14 स्वर्ण, 17 रजत और 34 कांस्य समेत 65 पदक जीते थे. इससे एक महीना पहले दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने रिकार्ड 101 पदक हासिल किये थे जिनमें 38 स्वर्ण शामिल थे.
ग्वांग्झू खेलों में भारत छठे स्थान पर था जो 1982 के बाद उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. मेजबान चीन 199 स्वर्ण पदक जीतकर शीर्ष पर रहा था. भारत 2002 एशियाई खेलों में आठवें स्थान पर रहा था जबकि 2006 में दोहा में इसे बरकरार रखा. ग्वांग्झू में भारत ने दो पायदान की प्रगति की और अब लक्ष्य शीर्ष पांच में जगह बनाने पर है.
केंद्र सरकार ने भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा प्रस्तावित 952 सदस्यीय दल में कटौती कर दी थी. अब दल में 679 सदस्य हैं जिनमें 516 खिलाड़ी हैं. अभी भी भारतीय दल काफी बड़ा है. भारत एक्वाटिक्स, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबाल, मुक्केबाजी, केनोइंग और कयाकिंग, साइकिलिंग, घुडसवारी , फुटबाल, गोल्फ, जिम्नास्टिक, हैंडबाल, हाकी, जूडो, कबड्डी, नौकायन, सेपकटेकरा, निशानेबाजी, स्क्वाश, ताइक्वांडो, टेबल टेनिस, टेनिस, वालीबाल, कुश्ती, वुशू, भारोत्तोलन और याचिंग में भाग ले रहा है.
भारत को बैडमिंटन, स्क्वाश, मुक्केबाजी, कुश्ती और कबड्डी में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी. कबड्डी में पुरुष टीम लगातार सातवां और महिला टीम दूसरा स्वर्ण जीतने के इरादे से उतरेगी.टेनिस में 2010 के पुरुष एकल विजेता सोमदेव देववर्मन, युगल विशेषज्ञ लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना के नाम वापिस लेने से पदक की उम्मीदों को धता पहुंचा है. शीर्ष महिला खिलाडी सानिया मिर्जा ने पहले टूर्नामेंट नहीं खेलने का फैसला किया था लेकिन बाद में अपना मन बदला और अब वह पदक की प्रबल दावेदार के रुप में यहां उतरेगी.
हाकी भारत के लिये काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि एशियाड में स्वर्ण जीतने के मायने रियो ओलंपिक में सीधे प्रवेश है. सरदार सिंह की अगुवाई वाली भारतीय टीम पीले तमगे के लिये सोलह साल का इंतजार अब खत्म करना चाहेगी.
पिछली बार सेमीफाइनल में मलेशिया से मिली अप्रत्याशित हार के बाद भारत को कांस्य से संतोष करना पडा था. उसके बाद से हालांकि भारत के प्रदर्शन में सुधार आया है और 15 . 15 मिनट के चार क्वार्टर का प्रारुप उसे रास भी आता है.
उम्मीदों का सबसे ज्यादा दारोमदार निशानेबाजों , मुक्केबाजों और पहलवानों पर होगा हालांकि ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह और सुशील कुमार इस बार नहीं खेल रहे हैं. एथलेटिक्स में राष्ट्रमंडल खेलों के चक्का फेंक चैम्पियन विकास गौडा से पदक की उम्मीद होगी जबकि महिला वर्ग में कृष्णा पूनिया और राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता सीमा पूनिया पर नजरें रहेंगी.
ट्रैक पर टिंटू लुका, त्रिकूद में राष्ट्रीय रिकार्ड धारी और राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता अरपिंदर सिंह भी चमत्कार कर सकते हैं. पुरुषों की बाधादौड़ में सिद्धांत थिंगाल्या से उम्मीदें होंगी जिसने पिछले महीने फेडरेशन कप में 110 मीटर बाधादौड़ में जीत दर्ज की.
निशानेबाजी में भारत को पिछली बार आठ पदक मिले थे और एकमात्र स्वर्ण जीतने वाले ट्रैप निशानेबाज रंजन सोढी अब टीम में नहीं हैं. भारतीय टीम में बीजिंग ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा और शीर्ष राइफल निशानेबाज गगन नारंग शामिल हैं.
ओलंपिक , विश्व और राष्ट्रमंडल खिताब जीत चुके बिंद्रा ने अभी तक एशियाई खेलों में एक भी एकल पदक नहीं जीता है और यह उनका आखिरी मौका हो सकता है. उन्होंने ग्वांग्झू में टीम स्पर्धा में रजत जीता था लेकिन स्पेन में हाल ही में हुई विश्व चैंपियंनशिप में उनका खराब फार्म चिंता का सबब है.
इनके अलावा राष्ट्रमंडल चैम्पियन जीतू राय ( 50 मीटर पिस्टल), अपूर्वी चंदेला ( 10 मीटर एयर राइफल ) और रजत पदक विजेता मलाइका गोयल तथा अयोनिका पाल भी पदक उम्मीदों में शामिल हैं. लगातार दो ओलंपिक में पदक जीत चुके सुशील की गैर मौजूदगी में कुश्ती दल की उम्मीदें लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता और दो बार के राष्ट्रमंडल चैम्पियन योगेश्वर दत्त पर होंगी. भारत ने एशियाई खेलों में कुश्ती में 28 साल से स्वर्ण नहीं जीता है.
चार साल पहले कुश्ती में भारत ने सिर्फ तीन कांस्य पदक जीते थे और अब पहलवान इसे बेहतर करना चाहेंगे. बॉक्सिंग इंडिया के चुनाव होने के बाद मुक्केबाज अब तिरंगे तले खेलकर बेहतरीन प्रदर्शन करने उतरेंगे. विजेंदर की गैर मौजूदगी में भी टीम के पास अखिल कुमार जैसा अनुभवी मुक्केबाज है जिसने टीम में वापसी की है.
महिलाओं में पांच बार की विश्व चैंपियन एम सी मेरीकोम इस बार स्वर्ण जीतना चाहेगी जिसने चार साल पहले 51 किलो में कांस्य अपने नाम किया था.
बैडमिंटन में ओलंपिक कांस्य विजेता साइना नेहवाल, लंदन ओलंपिक क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे पी कश्यप और विश्व चैंपियनशिप में दो बार पदक जीत चुकी पी वी सिंधू पदक की दावेदार होगी. विश्व चैम्पियनशिप में क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद साइना ने अपने पूर्व कोच विमल कुमार के साथ बेंगलूर में अभ्यास किया.
महिला युगल में ज्वाला गुट्टा की गैर मौजूदगी में अश्विनी पोनप्पा को नये जोडीदार के साथ खेलना होगा. ग्लास्गो में जोशना चिनप्पा के साथ महिला युगल स्क्वाश का स्वर्ण जीतने वाली दीपिका पल्लीकल के अलावा सौरव घोषाल से भी पदक की उम्मीद होगी. घोषाल को पुरुष एकल में शीर्ष वरीयता दी गयी है.
नौकायन में भारत ने पिछले तीन एशियाई खेलों में एक स्वर्ण, पांच रजत और दो कांस्य जीते. बजरंग लाल ताखड ने चार साल पहले पुरुषों के एकल स्कल में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था.शतरंज , क्यू खेल और रोलर खेलों में ग्वांग्झू में भारत ने आठ पदक जीते लेकिन इस बार इंचियोन में ये खेल शामिल नहीं हैं जिससे भारत की पदक उम्मीदों को झटका लगा है.