भारतीय रोअर दुशियांत दुष्यंत ने एशियाई खेल के पांचवें दिन भारत को पुरुषों के लाइट सिंगल स्क्ल्स में कांस्य पदक दिलाया. उनके हाथ से स्वर्ण जीतने का सुनहरा मौका फिसल गया.
दुष्यंत 2000 मीटर के फासले तक अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे थे लेकिन उसके बाद वे अपना लय खोते चले गये और अंतत: उन्हें कास्य पदक से संतोष करना पड़ा.
दुशियांत दुष्यंत 7 : 26.57 का समय निकालकर तीसरे स्थान पर रहे जबकि हांगकांग के वान होइ लोक ने 7 : 25.04 के साथ स्वर्ण जीता वहीं दक्षिण कोरिया के हाकबोएम ली दूसरे स्थान पर रहे जिन्होंने 7 : 25.95 का समय निकाला.सेना के रोअर दुष्यंत 2000 मीटर के फासले तक अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे था लेकिन उन्होंने तेज हवाओं और बारिश के कारण इसके बाद लय खो दी और उनकी स्वर्ण पदक की उम्मीदें टूट गयीं.
वह एक मिनट 59.02 सेकेंड से दो अन्य के बाद तीसरे स्थान पर रहे. इस 21 वर्षीय ने पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘मुझे स्वर्ण पदक का भरोसा था लेकिन मेरी लेन तेज हवाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई। लेकिन फिर भी कांस्य पदक जीतने से खुश हूं. ’’
चौहान स्वर्ण पदकधारी लोक क्वान हाई के बाद पहले 500 मीटर की दूरी पर दूसरे स्थान पर चल रहे थे लेकिन अगले 500 मीटर में वह अपने प्रतिद्वंद्वी के बराबरी पर आ गये और उन्होंने उसे पीछे छोड दिया जिससे उनका स्वर्ण पदक जीतना तय लग रहा था. लेकिन इसके बाद खराब मौसम ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. उन्होंने सिर्फ स्वर्ण पदक ही नहीं गंवाया बल्कि रजत भी गंवा दिया। मेजबान देश के ली हाकबियोम ने भारतीय रोअर को पछाडकर एक मिनट 56.19 सेकेंड से दूसरा स्थान हासिल किया.
यह भारत के लिये दिन का पहला और इन खेलों में 10वां कांस्य पदक था क्योंकि निशानेबाजी रेंज में आज कोई पदक नहीं मिला. भारतीय रोइंग महासंघ के महासचिव एम वी श्रीराम ने भी चौहान के स्वर्ण से चूकने से निराश थे। उन्होंने कहा, ‘‘वह रेस में ज्यादातर समय आगे था और उसे स्वर्ण जीतना चाहिए था. ’’ भारत ने 2010 ग्वांग्झू खेलों में रोइंग में एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य जीता था.