आजादी के पहले से हॉकी में रहा है भारत का दबदबा
नयी दिल्ली : एशियन गेम्स 2014 के हॉकी के फाइनल मुकाबले में भारत ने 16 साल बाद स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया है. यह पहली बार नहीं है कि भारत ने इस प्रकार का प्रदर्शन किया हो. भारतीय हॉकी का इतिहास स्वर्णिम रहा है. भारतीय हॉकी टीम ने वर्ष 1928 में पहली बार ओलंपिक खेलों […]
नयी दिल्ली : एशियन गेम्स 2014 के हॉकी के फाइनल मुकाबले में भारत ने 16 साल बाद स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया है. यह पहली बार नहीं है कि भारत ने इस प्रकार का प्रदर्शन किया हो.
भारतीय हॉकी का इतिहास स्वर्णिम रहा है. भारतीय हॉकी टीम ने वर्ष 1928 में पहली बार ओलंपिक खेलों में खेलते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया. इसके बाद टीम ने वर्ष 1932 में लास एंजेलिस और वर्ष 1936 में बर्लिन ओलंपिक खेलों में भी स्वर्ण पदक जीतकर हॉकी की दुनिया में तहलका मचा दिया.
अब हॉकी को लोग भारत के नाम से पहचानने लगे. हॉकी केमेजर ध्यानचंद के नाम का डंका हॉकी के जादूगर के रूप में पूरी दुनिया में बज रहा था. इसके बाद दूसरे विश्व युध के कारण वर्ष 1940 और 1944 में ओलंपिक खेलों का आयोजन नही हो सका. वर्ष 1948 में ओलंपिक खेलों का बिगुल लदंन में बजा.
अब भारत एक आजाद देश था और आजादी के बाद उसने पहला स्वर्ण पदक हॉकी में ही जीता, वो भी फाइनल में ब्रिटेन को 4-0 से हराकर.फाइनल से पहले भारत ने ऑस्ट्रिया को 8-0, अर्जेंटीना को 9-1 से और स्पेन को 2-0 से मात दी. सेमीफाइनल में भारत ने नीदरलैंडस को 4-0 से हराया.
इसके बाद फाइनल में भारत ने जीत का परचम फहराकर लगातार चौथी बार स्वर्ण पदक जीतकर दिखा दिया कि आजादी के बाद हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल बनाना कितना उचित था.