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एशियाड में 28 साल बाद स्वर्ण जीतने वाले योगेश्वर की निगाहें अब हैट्रिक पर

नयी दिल्ली :एशियाई खेलों में 28 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त अब स्‍वर्ण पदकों की हैट्रिक पुरा करने की कोशिश में लग गये हैं. उन्‍होंने इसके लिए अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है. योगेश्वर का कहना है कि वह अगले ओलंपिक में पदक जीतने के लिए कड़ी […]

नयी दिल्ली :एशियाई खेलों में 28 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त अब स्‍वर्ण पदकों की हैट्रिक पुरा करने की कोशिश में लग गये हैं. उन्‍होंने इसके लिए अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है. योगेश्वर का कहना है कि वह अगले ओलंपिक में पदक जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं.उन्‍होंने कहा कि खुद पर से एक बड़ा दबाव समाप्त करने के बाद अब रियो ओलंपिक तक स्वर्ण पदकों की हैट्रिक पूरी करने के लक्ष्य के साथ अभ्यास कर रहे हैं.

* 1986 के बाद योगेश्वर ने जीता पहला स्‍वर्ण

भरतीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने इंचियोन एशियाई खेलों के 65 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता है. यह स्‍वर्ण खास इस मामले में है कि 1986 के बाद किसी भारतीय पहलवान का इन महाद्वीपीय खेलों में पहला सोने का तमगा है. उनसे पहले सोल एशियाई खेलों में करतार सिंह ने स्वर्ण पदक जीता था. उनका लक्ष्य अब अगले साल विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक खेलों के लिये क्वालीफाई करना और फिर रियो में भी सोने का तमगा जीतना है.
लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले योगेश्वर ने आज कहा, मैं अब केवल रियो ओलंपिक के लिये ही अभ्यास कर रहा हूं. मुझे अगले साल विश्व चैंपियनशिप में भाग लेना हैं और मैं वहां स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करुंगा. इसके बाद रियो ओलंपिक में भी मैं अपने पदक का रंग बदलने की कोशिश करुंगा. उन्होंने कहा, मैंने इन तीन स्वर्ण पदकों को अपना लक्ष्य बनाया था. इसमें मैं अपने पहले लक्ष्य में सफल रहा हूं.
अब मैं अपनी कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान दे रहा हूं. मेरी दोनों पिंडलियों में समस्या थी. मैं नहीं चाहता कि वह मुझे आगे परेशान करे. इसके अलावा मैं अपने रक्षण और आक्रमण दोनों को थोडा धीमा करना चाहता हूं. इंचियोन से पहले ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीतने वाले योगेश्वर ने स्वीकार किया कि ओलंपिक में दो बार पदक जीतने वाले सुशील कुमार की अनुपस्थिति के कारण एशियाई खेलों में उन पर काफी दबाव था.
उन्होंने कहा, मैंने अच्छी मेहनत की थी. खुद की मेहनत काफी मायने रखती है और इसलिए मुझे विश्वास था लेकिन सुशील की अनुपस्थिति के कारण मुझसे काफी अपेक्षाएं थी और इसलिए मुझ पर दबाव भी था. हमने 86 के बाद स्वर्ण पदक नहीं जीता था, यह बात भी दिमाग में थी लेकिन इन सब चीजों ने मेरे लिये सकारात्मक काम किया.
योगेश्वर ने माना कि वजन वर्ग में बदलाव से उन्हें फायदा मिला. वह पहले 60 किग्रा वर्ग में लडते थे लेकिन अब वह 65 किग्रा में उतरते हैं. उन्होंने कहा, मुझे यह वजन वर्ग भा रहा है. पहले मुझे काफी वजन कम करना पडता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. इस स्टार पहलवान ने इसके साथ ही कहा आगे कभी ऐसी नौबत नहीं आनी चाहिए जबकि एशियाई खेलों में भारतीय पहलवानों को स्वर्ण पदक के लिये 28 साल का इंतजार करना पडे.
योगेश्वर ने कहा, हमारे पास अच्छे युवा पहलवान हैं. मैं चाहता हूं कि अब प्रत्येक एशियाई खेल में भारत कम से कम एक स्वर्ण पदक जरुर जीते. हमें अभी से ऐसे प्रयास करने चाहिए कि भविष्य में हमें इतना लंबा इंतजार नहीं करना पडे.

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