नयी दिल्ली : सरदार सिंह इंचियोन में जब उद्घाटन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक के तौर पर तिरंगा थामे चल रहे थे, तब हॉकी टीम के इस कप्तान को इल्म भी नहीं था कि उनके दादाजी उनकी यह उपलब्धि देखने के लिये इस दुनिया में नहीं रहे.इंचियोन एशियाई खेलों के 19 सितंबर को हुए उदघाटन समारोह के चार दिन पहले सरदार के दादाजी का निधन हो गया था लेकिन उनके परिवार ने यह दुखद समाचार उन्हें नहीं बताया.
सरदार ने यहां खेल मंत्रालय द्वारा एशियाई खेलों के पदक विजेताओं के सम्मान समारोह से इतर कहा, ‘वे नहीं चाहते थे कि मेरा ध्यान बंटे. मैं बचपन से दादाजी के काफी करीब था. मैने इंचियोन से अपने परिवार को फोन करके बताया कि मैं ध्वजवाहक हूं, मुझे टीवी पर देखना लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया.’
उन्होंने कहा, ‘खेल खत्म होने के बाद ही मुझे इसके बारे में पता चला. मेरे दादाजी ने मुझे हमेशा जुनून के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और वह हमें अच्छा खेलते देखना चाहते थे.’ सरदार ने कहा कि अब उनकी टीम का फोकस छह से 14 दिसंबर तक भुवनेश्वर में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी की तैयारी पर है.
उन्होंने कहा कि यह अधिक कठिन प्रतिस्पर्धा होगी, जिसमें ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम मौजूद है. उन्होंने कहा, ‘हमने विश्व कप के दौरान जो गलतियां की, उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स में नहीं दोहरायाऔर कॉमनवेल्थ गेम्स की गलतियों को इंचियोन में नहीं दोहराया. हमारे प्रदर्शन में सुधार हो रहा है. उम्मीद है कि एशियाई खेलों की गलतियां चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं दोहरायेंगे.’हमारी टीम का खेल समय के साथ बेहतर हो रहा है और उम्मीद है कि चैंपियंस ट्रॉफी में यह सिलसिला जारी रहेगा.’