विश्व शतरंज चैंपियनशिप : आनंद और कार्लसन के बीच आठवीं बाजी भी ड्रॉ
सोच्चि : भारतीय चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने मौजूदा चैंपियन मैगनस कार्लसन के खिलाफ आठवीं बाजी भी ड्रॉ खेली है. इस तरह से कार्लसन अब भी 12 बाजियों के मुकाबले में एक अंक की बढ़त बनाये हुए हैं. उनके 4.5 अंक हैं जबकि आनंद के 3.5 अंक हैं और उन्हें मुकाबले में आगे नयी रणनीति के […]
सोच्चि : भारतीय चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने मौजूदा चैंपियन मैगनस कार्लसन के खिलाफ आठवीं बाजी भी ड्रॉ खेली है. इस तरह से कार्लसन अब भी 12 बाजियों के मुकाबले में एक अंक की बढ़त बनाये हुए हैं. उनके 4.5 अंक हैं जबकि आनंद के 3.5 अंक हैं और उन्हें मुकाबले में आगे नयी रणनीति के साथ उतरना होगा. कल विश्राम का दिन होगा.
आनंद दो बाजियों में काले मोहरों से खेलने के बाद आज आठवीं बाजी में सफेद मोहरों से खेल रहे थे. उन्होंने फिर से वही शुरुआत की जो उन्होंने तीसरी बाजी में की थी जिसमें वह जीत दर्ज करने में सफल रहे थे. कार्लसन ने हालांकि सैद्वांतिक तरीका अपनाने के बजाय हटकर शुरुआत की.
नार्वे के खिलाड़ी ने शुरु से ही तेजी से चालें चली और लगातार मोहरों की अदला बदली करके साफ कर दिया कि वह बाजी को ड्रॉ कराना चाहते हैं. कार्लसन एक अंक की बढ़त पर हैं और काले मोहरों से खेलने के कारण उनका ऐसा करना लाजिमी भी था लेकिन आनंद की निगाहें जीत पर थीं.
भारतीय खिलाड़ी ने कोशिश भी की लेकिन जब 38वीं चाल में दोनों खिलाडियों ने घोडों की अदला बदली की तो बाजी का ड्रॉ होना तय हो गया था. जब दोनों खिलाड़ी अंक बांटने पर सहमत हुए तब बोर्ड पर दोनों के एक एक उंट और चार-चार प्यादे बचे हुए थे.
इससे पहले आनंद ने कल देर रात तक चली सातवीं बाजी में बेहतरीन डिफेंस का नमूना पेश किया. कार्लसन ने सफेद मोहरों से खेलते हुए बर्लिन डिफेंस अपनाया. इसका संकेत पहले ही मिल चुका था कि आनंद को शुरुआत में दबाव बनाने से रोकने के लिये उन्होंने इस पर काफी मेहनत की है.
मुकाबले के बाद डच ग्रैंडमास्टर अनीश गिरि ने ट्वीट किया, जब बर्लिन डिफेंस की बात आती है तो कार्लसन को पता है कि किसका अनुसरण करना है. उनका इशारा दो सप्ताह पहले उनके और अजरबैजान के तैमूर राजदाबोव के बीच हुए मुकाबले की ओर था जिसे कार्लसन ने बडी गौर से देखा था.
आनंद ने वह मुकाबला नहीं देखा था और अपनी रणनीति खुद तैयार करते हुए चालों के व्यापक विश्लेषण के बाद ड्रॉ खेला. कुछ समय के लिये आनंद ने दबाव बनाया लेकिन कार्लसन ने जल्दी ही वापसी की. मैच का नतीजा लगभग तय लगने लगा था और 122 चालों के बाद यह ड्रॉ पर खत्म हुआ. विश्व चैंपियनशिप में सबसे लंबी बाजी अनातोली कारपोव और विक्टर कोर्चनोई के बीच 1978 में 124 चालों तक खिंची थी.