टेनिस से प्रेम करते हैं भारतीय : संप्रास

नयी दिल्ली : भारत में पहली बार खेल रहे 14 बार के ग्रैंडस्लैम विजेता पीट संप्रास ने यहां के प्रशंसकों की टेनिस की समझ की तारीफ करते हुए कहा कि भारत इस खेल का भी गढ़ है. सर्वकालिक महान खिलाडियों में शामिल संप्रास और रोजर फेडरर अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर टेनिस लीग में खेलने के लिये भारत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2014 9:01 PM

नयी दिल्ली : भारत में पहली बार खेल रहे 14 बार के ग्रैंडस्लैम विजेता पीट संप्रास ने यहां के प्रशंसकों की टेनिस की समझ की तारीफ करते हुए कहा कि भारत इस खेल का भी गढ़ है. सर्वकालिक महान खिलाडियों में शामिल संप्रास और रोजर फेडरर अंतरराष्ट्रीय प्रीमियर टेनिस लीग में खेलने के लिये भारत आये हुए हैं.

संप्रास से कल उनके यहां आगमन पर शानदार स्वागत के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, मुझे अहसास था. मैंने दुनिया भर का दौरा किया है और भारत के काफी लोगों से मिला हूं. वे टेनिस से प्रेम करते हैं. वे आपको देखकर उत्साहित हो जाते हैं. वे बहुत अच्छे लोग हैं.

मैं जर्मनी या लांस एंजिल्स में उनसे मिला और वे टेनिस को अच्छी तरह जानते हैं. वे विंबलडन के बारे में जानते हैं. उन्होंने कहा, लगता है कि उन्हें पता है कि मैंने वहां (विंबलडन में) अच्छा प्रदर्शन किया है. मैं इसे टेनिस का भी गढ़ मानता हूं. मुझे खुशी है कि आखिर में मैं यहां आया और उम्मीद है कि फिर से यहां आउंगा.
संप्रास से कई सवाल इस पर पूछे गये कि जब से उन्होंने 2002 में पेशेवर टेनिस में खेलना बंद किया तब से खेल कितना आगे बढ़ा है. इस अमेरिकी खिलाड़ी ने कहा, मेरी पीढी में सर्व एंड वाली का खेल चलता था लेकिन इसके विपरीत भी था. मैं एक दिन बोरिस बेकर और अगले दिन आंद्रे (अगासी) से खेलता था. अब सभी एक तरह की टेनिस खेलते हैं और वह बेसलाइन पर आधारित है. ये तीन चार खिलाडी (फेडरर, जोकोविच और नडाल) अन्य से काफी बेहतर हैं.
संप्रास ने कहा, मुझे नहीं लगता कि कोर्ट तेज बन गये हैं. खेल की शैली एक आयामी हो गयी है. सभी पीछे रहकर खेलना चाहते हैं. वे अच्छा खेल रहे हैं लेकिन यदि इसके उलट भी होता तो अच्छा रहता. संप्रास ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि वर्तमान चलन हाल फिलहाल में नहीं बदलेगा.
उन्होंने कहा, बच्चे नोवाक, रोजर और राफा को खेलते हुए देखकर बढ़ रहे हैं. वे भी उनकी तरह खेलना पसंद करते हैं. मेरी पीढी में स्टीफन एडबर्ग, बोरिस, जान मैकनरो जैसे खिलाडी थे जो सर्व और वाली का खेल खेलते थे और मैं उसे अच्छी तरह से समझने लगा. मारिन सिलिच (यूएस ओपन) और स्टैन वावरिंका (ऑस्ट्रेलियाई ओपन) ने 2014 में फेडरर, नडाल और जोकोविच की बादशाहत को चुनौती दी लेकिन संप्रास का मानना है कि इन तीनों का दबदबा 2015 में भी बना रहेगा.
उन्होंने कहा, नोवाक स्वाभाविक पसंद है, रोजर फिर से नंबर एक बनने के लिये प्रेरित है, राफा की फिटनेस अनिश्चित है लेकिन जब वह फिट रहता है तो वह बहुत अच्छा खेलता है. दिमित्रोव (ग्रिगोर) अच्छे संकेत दे रहा है. उसे सीखना होगा कि कैसे जीत दर्ज की जाए लेकिन वह प्रतिभावान है. लेकिन मुझे लगता है कि इन तीनों खिलाड़ी दबदबा बरकरार रहेगा.

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