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भारत को हजारों मिल्खा की जरूरत

उड़नसिख मिल्खा सिंह ने देश में खेलों के प्रशिक्षण के प्रति उदासीनता पर चिंता व्यक्त करते हुए आज यहां कहा कि अब समय आ गया है जबकि देश को एक नहीं बल्कि हजारों मिल्खा सिंह और पीटी उषा की जरूरत है.मिल्खा ने कहा, ‘‘जमैका में एक उसैन बोल्ट हुआ और आज दुनिया जमैका को उसैन […]

उड़नसिख मिल्खा सिंह ने देश में खेलों के प्रशिक्षण के प्रति उदासीनता पर चिंता व्यक्त करते हुए आज यहां कहा कि अब समय आ गया है जबकि देश को एक नहीं बल्कि हजारों मिल्खा सिंह और पीटी उषा की जरूरत है.मिल्खा ने कहा, ‘‘जमैका में एक उसैन बोल्ट हुआ और आज दुनिया जमैका को उसैन बोल्ट के नाम से जानती है. हमें भी एक नहीं हजारों मिल्खा सिंह चाहिए. हमें एक नहीं हजारों पीटी उषा चाहिए. हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन जरुरत उसे निखारने की है. ’’ उन्होंने आज यहां ‘रेस्पेक्ट एएसआईसीएस स्कूल खेल चैंपियनशिप’ के शुरुआत के अवसर पर कहा कि केवल टूर्नामेंट के आयोजन से देश में खेल का विकास नहीं होगा बल्कि इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को आगे भी मौके दिये जाने चाहिए.

रोम ओलंपिक 1960 में 400 मीटर की दौड़ में चौथे स्थान पर रहे मिल्खा ने कहा, ‘‘एक बार टूर्नामेंट हो जाता है और बच्चे अपने घर चले जाते हैं. उसके बाद उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता है. ऐसे में देश में खेल का विकास नहीं होगा. हमारे यहां खेल अकादमियां होनी चाहिए. वहां उच्चस्तरीय कोच रखे जाने चाहिए जो लगातार खिलाड़ी की प्रगति पर गौर करें. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा साई से भी अनुरोध है कि वह ऐसे कोचों को तरजीह दे जो परिणाम दें. कोच का फर्ज है कि वह खिलाड़ियों को रिकार्ड तोड़ने के लिये प्रेरित करे. यदि सिर्फ खेल प्रतियोगिताएं होती रही और अच्छे प्रशिक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो खेलों का विकास नहीं हो पाएगा.’’

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