नयी दिल्ली: पीवी सिंधु ने ड्रा देखकर ही समझ लिया था कि उनके लिये सफर आसान नहीं होगा लेकिन इस उभरती हुई भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कभी भी खुद को कम करके नहीं आंका और एक के बाद एक चुनौती को पार करते हुए चीन के ग्वांग्झू में विश्व चैम्पियनशिप में ऐतिहासिक कांस्य पदक हासिल किया.
भारत की 10वीं वरीय खिलाड़ी को 36 मिनट चले एकतरफा सेमीफाइनल में दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी थाईलैंड की रतचानोक इंतानोन के खिलाफ सीधे गेम में 10 . 21, 13 . 21 से हार का सामना करना पड़ा. यह 18 वर्षीय इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में एकल पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी है.
यह मेरी पहली विश्व चैम्पियनशिप थी और यह मेरे लिये बड़ी जीत है. ’’उन्होंने कहा, ‘‘विश्व चैम्पियनशिप का ड्रा मेरे लिये सचमुच काफी कठिन था क्योंकि सभी अच्छी खिलाड़ी इसमें शामिल थीं और मैं जानती थी कि मुङो सचमुच अच्छा खेल दिखाना होगा. मुङो वांग यिहान और शिजियान वांग से खेलना पड़ा लेकिन मैंने नहीं सोचा कि मैं हार जाउंगी.’’